Bihar News: बिहार के आरा शहर की रिंकू देवी के लिए यह स्वतंत्रता दिवस बेहद खास होने वाला है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 15 अगस्त को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय समारोह और राष्ट्रपति भवन में होने वाले विशेष रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति स्वयं उन्हें सम्मानित भी करेंगी।
रिंकू देवी को यह सम्मान प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत उत्कृष्ट आवास निर्माण के लिए दिया जा रहा है। रिंकू राज्य की उन चुनिंदा महिलाओं में से हैं, जिन्हें इस योजना में बेहतरीन कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा रहा है।
स्कूल में रसोईया, फिर बनी बिहार के लिए मिसाल
रिंकू देवी एक साधारण महिला हैं, जो आरा नगर निगम के हनुमान टोला, धरहरा वार्ड संख्या 33 की निवासी हैं। वह एक सरकारी स्कूल में रसोईया के रूप में काम करती हैं। उनके पति दूधनाथ चौधरी हैं, लेकिन उन्हें पारिवारिक सहयोग बहुत कम मिलता है। इसके बावजूद उन्होंने अपने कठिन परिश्रम से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित राशि का सदुपयोग कर बेहतरीन ढंग से मकान बनवाया।
रिंकू देवी बताती हैं कि उन्हें साल 2020-21 में इस योजना के अंतर्गत दो लाख रुपये की सहायता मिली थी, जिसमें कुछ और धन जोड़कर उन्होंने नियमों का पालन करते हुए घर तैयार किया। अब उसी ईमानदारी और मेहनत का परिणाम है कि उन्हें राष्ट्रपति भवन से आमंत्रण मिला है।
राष्ट्रपति के साथ डिनर को बताया गर्व का क्षण
रिंकू देवी ने बताया कि उन्हें भारतीय डाक के माध्यम से राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है। 15 अगस्त को उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा और उसी शाम वे राष्ट्रपति के साथ डिनर में भी शामिल होंगी। इसे वे अपने जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण मानती हैं।
जानें कैसी है रिंकू देवी का दैनिक जीवन?
रिंकू देवी का दैनिक जीवन कठिन परिश्रम का उदाहरण है। वह हर सुबह 5 बजे घर से निकलती हैं, पहले कुछ घरों में झाड़ू-पोछा का काम करती हैं और फिर 10 से 2 बजे तक स्कूल में मिड-डे मील योजना के तहत खाना बनाती हैं। इसके बाद लौटते समय रास्ते में 1-2 और घरों में सफाई का काम कर, करीब शाम 5 बजे तक घर लौटती हैं।
उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी, जिन्हें उन्होंने अपनी मेहनत से इंटर तक पढ़ाया। हालांकि आर्थिक तंगी के कारण वे बच्चों की आगे की पढ़ाई नहीं करवा पा रही हैं।
रिंकू देवी की कहानी यह दिखाती है कि मेहनत, ईमानदारी और निष्ठा के बल पर कोई भी महिला समाज में मिसाल बन सकती है। उनका यह सम्मान न केवल आरा बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व का विषय है।
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