भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2025) व्रत आज पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जा रहा है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और कथा श्रवण से महिलाएं मासिक धर्म से जुड़ी भूल-त्रुटियों के पाप से मुक्त हो जाती हैं. यही कारण है कि भले ही कोई महिला व्रत न करे, परंतु कथा सुनना अनिवार्य माना गया है.

ऋषि पंचमी की कथा

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण दंपत्ति की कन्या का विवाह हुआ. विवाहोपरांत मासिक धर्म आने पर वह अशुद्धता के नियमों का पालन नहीं कर पाई और गृहकार्य करती रही. इससे वह अगले जन्म में दासी बनी. एक दिन संयोगवश उसने अपने पूर्व जन्म के कर्मों को स्मरण किया और संतप्त होकर ऋषियों से उपाय पूछा. सप्तऋषियों ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पंचमी को उनका पूजन और व्रत करने से सभी स्त्रियां मासिक धर्म जनित पाप से मुक्त हो जाती हैं. तब से यह व्रत परंपरा में चल पड़ा.

व्रत का महत्व

मासिक धर्म काल की भूल से होने वाले पापों का नाश होता है.
सप्तऋषियों की कृपा प्राप्त होती है.
परिवार में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है.
अगली पीढ़ियों तक पुण्य का संचार होता है.

क्यों जरूरी है कथा सुनना

ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2025) केवल व्रत करने का पर्व नहीं बल्कि महिलाओं के लिए आत्मशुद्धि का अवसर है. धार्मिक मान्यता है कि कथा सुनने मात्र से भी पुण्य लाभ होता है और पापमुक्ति प्राप्त होती है. इस तरह, ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2025) पर हर महिला को व्रत के साथ-साथ कथा सुनना चाहिए ताकि जीवन में शुद्धता, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे.