रायपुर । राजधानी रायपुर जिले में अब मौसम कभी भी मौसम के अनुकूल नहीं रहा है। बारिश में बारिश नहीं हो रही, ठंड में ठंड नहीं रहती और गर्मी में तापमान रिकार्ड पारा से कहीं अधिक चले जाता है। हालात यह कि इस समय रायपुर जिला प्रदेश के सर्वाधिक सुखा प्रभावित इलाका हो गया है। सरकारी आंकड़ें के मुताबिक रायपुर जिला पूरी तरह से सूखे की चपेट में हैं। जिले में भी रायपुर तहसील सबसे अधिक प्रभावित है। रायपुर में महज 45 फीसदी तक वर्षा अभी तक हुई है।
उप संचालक कृषि ने के मुताहिक रायपुर जिले की अभनपुर तहसील को छोड़कर शेष तीनों तहसील रायपुर, आरंग एवं तिल्दा में 70 प्रतिशत से कम वर्षा दर्ज हुई है। रायपुर तहसील में 45 प्रतिशत, आरंग 49.5 प्रतिशत, अभनपुर में 95.9 प्रतिशत एवं तिल्दा में 63 प्रतिशत वर्षा हुई है। एक जून से 31 जुलाई तक हुई वर्षा से जिले में प्रमुख फसल विशेषकर धान की बोनी (कतार बोनी एवं सीधी बोनी) एक लाख 57 हजार 463 हेक्टर में बोता एवं रोपा का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसके विरूद्ध एक लाख एक हजार 531 हेक्टर में सीधी बोनी एवं 19 हजार 958 हेक्टर में सिचिंत क्षेत्र में बोनी की गई है। जिले के चारों तहसील में लगभग 35 हजार हेक्टर क्षेत्र में रोपा का कार्य अल्प वर्षा के कारण प्रभावित हुआ है। सबसे अधिक विकासखंड-तिल्दा एवं सबसे कम विकासखंड-अभनपुर में बोनी एवं रोपा का काम प्रभावित हुआ है। यदि आगामी एक सप्ताह से वर्षा होती है तो धान की फसल में रोपाई एवं निंदाई के कार्य में तेजी आयेगी।
अल्प वर्षा की स्थिति में धान की फसल के लिए किसान निम्न तरीकों से अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते है।ऐसे क्षेत्र जहां पर छिड़कांव पद्धति या सीधी बोनी पद्धति से धान की बोनी की गई है एवं धान बयासी के लायक हो और वहां पर पर्याप्त नमी एवं पानी नहीं है। ऐसे खेतों में किसान सूखी निंदाई का कार्य करें। जिन खेतों में पर्याप्त नमी है परंतु खेतों में पर्याप्त जलभराव नहीं है। ऐसे धान के खड़ी फसल में 2 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें। जिससे पौधों को नत्रजन उपलब्ध होगा एवं पौधों की वृद्धि करने में सहायक होगा। चालू खरीफ मौसम में सामान्य रूप से मानसून का आगमन विलम्ब से हुआ है। अतः किसान 20 अगस्त तक धान की रोपाई का कार्य कर सकते है। धान का रोपा लगाने के लिए पर्याप्त पानी के अभाव में किसान रोपा नहीं लगा पाये हो। ऐसे किसान जिनके धान के थरहा की उम्र 25 दिन से अधिक हो गई हो और उसकी बढ़वार भी अधिक हो। ऐसे थरहा का उपयोग रोपाई करने हेतु एक साथ एक जगह पर 3-4 पौधों की रोपाई करें एवं पौधों की संख्या में बढ़ोत्तरी करें जिससे प्रति इकाई पौधों की पर्याप्त संख्या होने पर उपज में कमी नहीं आयेगी।
जिन ग्रामों में जीवित नाला या सीजनल नाला हो एवं पानी बह रहा हो वहां पर अस्थाई बांध बनाकर (सीमेन्ट की बोरी में रेत भरकर) विभागीय योजना से पंप का अनुदान का लाभ लेकर नाले से पानी लेकर फसल बचा सकते है। जिन ग्राम पंचायतों में विभिन्न प्रकार की योजनाओं से चेकडेम या स्टापडेम का निर्माण कार्य हुआ है एवं पानी नाले में बह रहा है। ऐसे चेकडेम या स्टापडेम के गेट को आधा बंद कर पानी को रोका जा सकता है एवं पानी को पंपिग कर फसल को बचाया जा सकता है।
किसानों के द्वारा धान फसल के बचाव हेतु समूह बनाकर जिन कृषकों के पास नलकूप में पर्याप्त पानी उपलब्ध है वे अपने खेत के पानी के उपयोग के अतिरिक्त अन्य किसानों को भी पानी दे सकते है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा बीमा करवाकर अल्पवर्षा की स्थिति में बीमा का लाभ ले सकते है। दलहनी एवं तिलहनी फसलों में अल्पवर्षा की स्थिति में खरपतवार की बढ़वार तेजी से होती है। अतः किसान जहां पर पर्याप्त नमी है वहां पोस्ट इमरजेंस निंदानाशक उपयोग कर सकते है एवं जहां पर्याप्त नमी नहीं है वहां हेण्ड हो या सायकल व्हील हो या अन्य किसी हस्त चलित यंत्र से सुखी निंदाई कर निंदा को नियंत्रित कर सकते है। अल्प वर्षा की स्थिति में दलहन एवं तिलहन फसल में तरल जैव उर्वरक का उपयोग भी किया जा सकता है।
जिले के किसान कृषि संबंधित सामयिक सलाह हेतु जिले के उप संचालक कृषि कार्यालय में स्थापित किसान मितान केन्द्र के टोल फ्री नं. 18002331850 या क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर परामर्श प्राप्त कर सकते है। यदि 20 अगस्त के बाद भी वर्षा नहीं होती है। ऐसे क्षेत्रों में वैकल्पिक फसल जैसे-तोरिया, सरसों, रामतिल, मूंग, उड़द इत्यादि के बीज, बीज निगम के पास उपलब्ध है। किसान इसकी बोनी वैकल्पिक फसल के रूप में कर सकते है।