कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। होली पर रंग आपके चेहरे पर खुशी भी ला सकते हैं तो आपकी सेहत भी बिगाड़ सकते हैं। होली को लेकर प्रदेश भर में उमंग और उत्साह है, बाजार में तरह-तरह के रंग मौजूद है। सभी लोग अपनों के साथ होली खेलने की तैयारी में है लेकिन बाजार में मौजूद केमिकल युक्त रंग आपके शरीर और पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है।
इसलिए इस होली में सबसे पहले जरूर यही है कि सभी रासायनिक रंगों से बचाव करें और अस्थमा त्वचा में संक्रमण और आंखों में जलन सहित कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव कर सके। नेचुरल रंग और गुलाल का उपयोग करते हुए खुशी की होली स्वस्थ होली मनाए।
होली के त्यौहार को लेकर सभी लोग उत्साहित रहते हैं और इस दौरान एक दूसरे को रंग में डूबाने के लिए बाजार में मौजूद पक्के रंग ज्यादा उपयोग में करते हैं। लेकिन यह पक्के गहरे रंग आपकी सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ कर सकते हैं क्योंकि यह रंग हानिकारक केमिकल्स कांच के टुकड़े और अन्य एल्काइन मटेरियल से बनाए जाते हैं। इन में नुकसानदायक पाउडर भी शामिल होता है।
इन खतरनाक केमिकल का होता है उपयोग
-रोडमाइन-बी
-अन्य टॉक्सिस कैमिकल
-मरक्यूरिक ऑक्साइड
-आरेमाइन
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ अविनाश शर्मा का कहना है कि केमिकल युक्त रंग एक तरह की डाई होते हैं जो शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदायक होते हैं। होली की मस्ती रंगों के बिना अधूरी है लेकिन यह रंग हानिकारक केमिकल्स से तैयार किए जाते हैं। जिसके चलते लोगों को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसलिए स्वस्थ होली के लिए सभी को हर्बल और सुख गुलाल से होली खेलनी चाहिए साथ ही पानी के रंगों से भी परहेज करना चाहिए।
बाजार में मौजूद केमिकल युक्त रंगों से शरीर पर पड़ने वाले खतरनाक असर को लेकर अब लोग भी जागरूक हो रहे हैं। इसके साथ ही सेव वाटर का संदेश देने के लिए युवा आगे आ रहे हैं। होली के रंग में डूबे युवाओं का भी यही कहना है कि होली रंगों में डूबा खुशी का त्यौहार है लेकिन इस दौरान खुद की सेहत के लिए केमिकल युक्त रंगों से दूरी बनाते हुए हर्बल कलर का उपयोग करना चाहिए। साथ ही प्रकृति की सेहत के ड्राय होली खेलनी चाहिए। ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके।
होली खेलते वक्त यह सावधानी जरूर बरतनी चाहिए-
- हर्बल रंगों का उपयोग करें क्योंकि इसके उपयोग से आंखों और त्वचा में एलर्जी की संभावना कम रहती है।
- रासायनिक रंगों से बचाव के लिए शरीर पर अच्छा मॉइश्चराइजर या फिर सरसों के तेल का उपयोग करें।
- पिचकारी को मुंह पर ना मारे, इससे आंखों में तेज पानी लगने से आंख का कॉर्निया भी खराब हो सकता है।
- जिन्हें रंगों से एलर्जी है वह इससे दूरी बनाएं वही सबसे अच्छा उपाय है।
- यदि शरीर पर कोई जख्म या घाव है तो उसके बचाव के लिए होली के रंगों से परहेज करना ही बेहतर है।
हर्बल होली-स्वस्थ होली, हैप्पी होली…
गौरतलब है कि थोड़ी सी सावधानी आपके और आपकी प्रकृति के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि बीते साल के साथ ही बीते आंकड़ों पर गौर किया जाए तो होली के त्यौहार के बाद सबसे ज्यादा मरीज त्वचा संबंधी समस्याओं के साथ कि अस्पतालों के साथ ही प्राइवेट क्लिनिको पर पहुंचते हैं। इसके साथ ही आंखों से जुड़ी परेशानी और छोटे बच्चों में अन्य कई गंभीर बीमारियों के मामले भी सामने आते हैं। जिनके पीछे सबसे बड़ी समस्या केमिकल वाले रंग ही होते हैं। ऐसे में हर्बल होली, ड्राय होली और स्वस्थ होली के संदेश के साथ ही सभी को होली का त्यौहार मनाना चाहिए।
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