नीरज उपाध्याय, सारण. Saran News: जिले के रिविलगंज स्थित श्रीनाथ बाबा मंदिर के समीप गंगा नदी में भारतीय कॉर्प मछलियों के अंगुलिका साइज के बीजों को प्रवाहित कर रिवर रैचिंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य नदियों में मछली उत्पादन को बढ़ावा देना, उनकी जैव विविधता को संरक्षित रखना और मछुआरा समुदाय की आजीविका में सुधार करना है।
मछलियों की प्रमुख प्रजातियों में आई गिरावट
जिलाधिकारी ने कहा कि मानवीय गतिविधियों, अव्यवस्थित मत्स्य शिकार, और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण नदियों के प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर क्षति हुई है। इससे मछलियों की प्रमुख प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है और अवांछनीय प्रजातियों की वृद्धि हुई है। इन कारणों से न केवल मछली उत्पादन प्रभावित हुआ है, बल्कि मछुआरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने बताया कि, बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त मत्स्य प्रोटीन की मांग में भी वृद्धि हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय कॉर्प मछलियों के 3.50 लाख अंगुलिका साइज के बीजों को घाघरा नदी में छोड़ा गया है। उन्होंने मछुआरों से आग्रह किया कि इन बीजों को शिकार न करें, बल्कि इन्हें प्राकृतिक रूप से विकसित होने दें ताकि मछली उत्पादन में सुधार हो सके और पारिस्थितिक तंत्र मजबूत हो।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों का संबोधन
इस अवसर पर सारण परिक्षेत्र के उप मत्स्य निदेशक सुमन कुमार ने कहा कि नदियों की जैव विविधता को बनाए रखना और अच्छी किस्म की मछलियों की मौजूदगी सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है। रिवर रैचिंग कार्यक्रम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अंतर्गत नदियों में मछलियों के बीज छोड़ने से मछलियों की गुणवत्ता और संख्या दोनों में सुधार होगा।
जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि यह कार्यक्रम राज्य सरकार की पहल है, जिसका उद्देश्य न केवल मछली उत्पादन को बढ़ाना है बल्कि नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार करना और नाइट्रोजन युक्त प्रदूषण को कम करना भी है। मत्स्य विभाग ने हेचरी में विभिन्न मछली प्रजातियों के बीज तैयार किए हैं, जिन्हें पुनः नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है।
मछुआरा समुदाय को मिलेगा लाभ
इस कार्यक्रम से मछुआरा समुदाय की आजीविका में सुधार होगा और उन्हें अतिरिक्त रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। नदी में मछलियों की संख्या बढ़ने से मछुआरे बेहतर आय अर्जित कर सकेंगे। साथ ही, नदी जल की गुणवत्ता में सुधार होने से क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन भी बहाल होगा।
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रिवर रैचिंग कार्यक्रम के लाभ
मछली उत्पादन में वृद्धि,नदियों की जैव विविधता का संरक्षण,मछुआरा समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार,नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार और प्रदूषण नियंत्रण। इस पहल से न केवल स्थानीय समुदाय को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र में एक स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिक तंत्र भी विकसित होगा।
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