पटना। बिहार की सियासत में कभी बड़ा नाम रहे आरजेडी के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। नाबालिग से दुष्कर्म के हाई-प्रोफाइल मामले में न्यायमूर्ति मोहित शाह और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने उन्हें आरोप प्रमाणित न होने के आधार पर बरी कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला लंबी सुनवाई के बाद सुनाया, जबकि 7 मई को बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था।
50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी
राजबल्लभ यादव नवादा जिले के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। उन पर आरोप था कि 6 फरवरी 2016 को एक 15 वर्षीय लड़की को जन्मदिन की पार्टी के बहाने बुलाया गया, जहां उसे नशीला पदार्थ देकर दुष्कर्म किया गया। पीड़िता की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ और विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2018 में यादव को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
10-10 साल की कैद हुई थी
मामले में कुल 20 गवाहों के बयान दर्ज हुए थे। विशेष अदालत ने यादव के साथ-साथ सुलेखा देवी और राधा देवी को भी उम्रकैद की सजा दी थी, जबकि तीन अन्य आरोपियों को 10-10 साल की कैद हुई थी।
राजबल्लभ यादव को कानूनी राहत मिली
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा। नतीजतन, सभी छह आरोपी बरी कर दिए गए। इस फैसले से सात साल बाद राजबल्लभ यादव को कानूनी राहत मिली है। यह मामला न सिर्फ बिहार की राजनीति में सुर्खियों में रहा, बल्कि उस दौर में आरजेडी के लिए भी एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हुआ था।
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