कुदंन कुमार/पटना। बिहार की सियासत में बयानबाज़ी तेज होती जा रही है। आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू पर तीखा हमला बोलते हुए उनके आगामी अल्पसंख्यक संवाद कार्यक्रम को भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा देने का माध्यम करार दिया। यह कार्यक्रम 21 अगस्त को पटना के बापू सभागार में होना है। आयोजन मूल रूप से मदरसा बोर्ड के शताब्दी समारोह का हिस्सा है, लेकिन जदयू ने इसे अपने राजनीतिक एजेंडे से जोड़ लिया है।

मुख्यमंत्री से सीधे संवाद कर सकें

हाल ही में जदयू ने जिला स्तर पर अल्पसंख्यक सम्मेलन आयोजित किए, जिनमें यह बात सामने आई कि पसमांदा मुसलमान अब भी नीतीश कुमार के समर्थक हैं, जबकि कुछ अगड़ी जाति के मुसलमान भी उनके साथ जुड़ना चाहते हैं। इसी फीडबैक के आधार पर जदयू ने अल्पसंख्यक समाज के नेताओं को जिम्मेदारी दी है कि वे अधिक से अधिक लोगों को इस संवाद कार्यक्रम में लाएं ताकि वे मुख्यमंत्री से सीधे संवाद कर सकें।

पाठ पढ़ाया जाएगा?

एजाज अहमद ने सवाल उठाया कि इस संवाद में नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों से क्या बात करने जा रहे हैं क्या उन्हें नफरत फैलाने, भाजपा को मजबूत करने और उसके एजेंडे पर चलने का पाठ पढ़ाया जाएगा? उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने भाजपा और आरएसएस की नीतियों को बिहार में लागू करने में हमेशा अहम भूमिका निभाई है।

भाजपा-आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा

आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार भले ही आज भाजपा से दूरी बनाने की बात करते हों, लेकिन उन्होंने लंबे समय तक उसके साथ सत्ता साझा की और उस दौरान भाजपा-आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा दिया। उन्होंने यह भी पूछा कि पिछले वर्षों में नीतीश कुमार की नीतियों से अल्पसंख्यकों को कितना वास्तविक लाभ मिला और कितनी बार उनकी अनदेखी हुई।

अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधना

एजाज अहमद ने अल्पसंख्यक संवाद को केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधना है। उन्होंने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि ऐसे कार्यक्रम महज दिखावे के लिए होते हैं और इनका जमीनी असर नहीं पड़ता।

एजेंडे से पूरी तरह दूरी बनाएं

उन्होंने नीतीश कुमार से मांग की कि अगर वे वास्तव में अल्पसंख्यकों के हित में काम करना चाहते हैं, तो पहले भाजपा और आरएसएस के एजेंडे से पूरी तरह दूरी बनाएं और पिछले कार्यकाल में लिए गए उन फैसलों की समीक्षा करें, जिनसे अल्पसंख्यकों को नुकसान हुआ।

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