वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. SECL और NTPC के भारी भरकम वाहनों से NH 343 बलरामपुर-रामानुजगंज की सड़कों की हालत खस्ताहाल हो गई है. इसके चलते नेशनल हाईवे पर हो रही सड़क दुर्घटनाओं के मामले पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. जवाब से असंतुष्ट होने पर कोर्ट ने SECL और NTPC को जमकर फटकार लगाई है.

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने NTPC और SECL से दुर्घटनाओं पर एक्शन लिए जाने को लेकर शपथ पत्र में जवाब मांगा था. आज चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल के डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर सरकार से जवाब मांगा. महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट को बताया कि मुंगेली जिले के सरगांव में हाईवे किनारे शराब की दुकान चल रही है, जिसे विस्थापित कर दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. इसमें कुछ समय लग रहा है. वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक ढाबे को हटाने की कार्यवाही की जा रही है, नोटिस दिया गया है. बारिश के कारण ऐसी स्थिति है.

वहीं आदेश के अनुपालन में दुर्घटनाओं को लेकर शासन के जवाब पर नाराजगी जताते हुए प्रतिक्रिया में कोर्ट ने कहा, आप राजस्व कमाते हैं, यह सही है, लेकिन किसी व्यक्ति के जीवन की कीमत पर नहीं..! वहीं यह भी कहा कि आप देखते हैं कि सड़क दुर्घटनाएं कैसे हो रही है. आप रोक नहीं पा रहे हैं. आपका राजमार्ग सुनसान है, आपने सड़क तो चट्टान जैसा बना दिया है, लेकिन अंधेरा है इसलिए यह बहुत ही समस्या वाली बात है.

वहीं एनटीपीसी के अधिवक्ता द्वारा शपथ पत्र की जानकारी पर कोर्ट ने कहा, आपकी अंतरात्मा को ठेस पहुंचनी चाहिए. हम चाहते हैं कि नियमों का पालन करना होगा. आप संयंत्र चला सकते हैं लेकिन इससे उन नागरिकों को कोई असुविधा या स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होनी चाहिए, जो उस सड़क का उपयोग कर रहे हैं, साइकिल से जा रहे हैं या सार्वजनिक परिवहन से जा रहे हैं. यह इतना आसान नहीं है. एनटीपीसी ने अपने शपथ पत्र में बताया कि सुधारात्मक कार्य किए जा रहे हैं, जिस पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, एनटीपीसी की ओर से जो हलफनामा दिया गया है वह केवल दिखावा प्रतीत होता है कि फ्लाई ऐश का धूल नहीं फैला है.

वहीं कोर्ट में एसईसीएल ने भी एक हलफनामा पेश किया. सुनवाई के दौरान एसईसीएल के अधिवक्ता ने कोर्ट में ये कहा कि हम कोयला खदान से कोल प्रोडक्शन करते हैं पर इसका ट्रांसपोर्टेशन हमारे द्वारा नहीं किया जाता. इसे खरीदने वाले ट्रांसपोर्ट करते हैं. चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या बात है, यह तो बड़ी अच्छी बात कह दी आपने, यह तो उसी प्रकार है कि शराब बेचने वाला कहे हम तो शराब बेचते हैं बाकी शराब पीने वाला जाने. हमने परिवहन का काम ट्रांसपोर्टर को दे दिया है यह कहकर आप अपनी जिम्मेदारियां से बच नहीं सकते. आप उस कोयले का क्या करते हैं, इसे बेचते हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा, कोयला खदान क्षेत्र से निकलता है. आप दूसरों पर बोझ नहीं डाल सकते हैं, आप निर्माता हैं, आप खुदाई करने वाले हैं, जो कोयला निकालेंगे और दूसरों के लिए छोड़ देंगे, आप जिम्मेदार हैं, क्या ऐसा नहीं है कि आपने ट्रक छोड़ दिया और ट्रांसपोर्टर गया. उन्होंने कहा, आप इस तरह अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आपके यहां से निकलने वाली सभी गाड़ियों को आप बिना कवर के परमिट नहीं देंगे और उसकी तस्वीर के साथ लगाएंगे. वहीं हाईवे पेट्रोलिंग एजेंट की बेल्ट की जांच करें और यह किसका वाहन है और किसका परिवहन है..? यदि आपको यह खुला मिलता है तो उसका वाहन जब्त करें. कोर्ट ने कहा, इसे हम अपने आदेश में लिखेंगे. कोर्ट कमिश्नर ने रिपोर्ट में बताया कि मुंगेली जिले के सरगांव में हाईवे किनारे शराब की दुकान है, जो इसके खिलाफ है. कानून के मुताबिक शराब दुकान हाईवे से 500 मीटर के दायरे में नहीं होना चाहिए. वहीं नेशनल हाईवे के पास ढाबा भी संचालित किया जा रहा था, जिस पर पिछले सुनवाई में कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और शासन सहित सभी विभागों से जवाब मांगा था.