पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के ठीक एक दिन बाद शनिवार को पटना की राजनीति को भीतर तक हिला दिया। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया। उनका यह संदेश सोशल मीडिया पर आते ही सियासी गलियारों में भूचाल सा आ गया क्योंकि रोहिणी वही बेटी हैं। जिन्होंने कुछ साल पहले अपने पिता को किडनी देकर उनकी जान बचाई थी।

पिता के लिए सबसे बड़ी चोट

रोहिणी के इस फैसले पर विपक्ष तो दूर सत्तारूढ़ जेडीयू भी सीधे प्रतिक्रिया देने पर मजबूर हो गया। जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा जिस बेटी ने अपने पिता के लिए अपनी किडनी दान की, आज उसी बेटी के मुंह से दर्द भरे शब्द निकल रहे हैं। यह सिर्फ परिवार का कलह नहीं एक बेटी की कराह है और यह किसी भी पिता के लिए सबसे बड़ी चोट होती है।

राजनीति के धृतराष्ट्र बन गए

नीरज कुमार यहीं नहीं रुके। उन्होंने बिना नाम लिए आरजेडी के आंतरिक संघर्ष पर भी उंगली उठाई और कहा कि लालू यादव राजनीति के धृतराष्ट्र बन गए हैं। सब कुछ देखते हुए भी चुप। उन्होंने कहा कि परिवार के मुखिया होने के नाते लालू यादव को इस स्थिति में बोलना चाहिए वरना यह मौन भी एक तरह की गलती माना जाएगा।

दूरी बना रही रोहिणी

इसी बीच रोहिणी ने अपने पोस्ट में बेहद स्पष्ट भाषा में लिखा कि वे राजनीति और अपने परिवार दोनों से दूरी बना रही हैं। पोस्ट में उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें ऐसा करने को संजय यादव और रमीज ने कहा था दोनों तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। रोहिणी का यह बयान सिर्फ एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि आरजेडी के भीतर चल रही खामोशी, दबाव और अंदरूनी संघर्ष की ओर संकेत करता है। बिहार की राजनीति में यह फैसला आने वाले दिनों में बड़े प्रभाव छोड़ सकता है क्योंकि यह सिर्फ रोहिणी की नहीं, लालू परिवार की अंदरूनी टूटन की कहानी है।