Rohini Vrat: 27 मई 2025 से शुरू हुआ रोहिणी व्रत अब श्रद्धालु 27 जून 2025, शुक्रवार को रखेंगे. यह व्रत चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में आने पर किया जाता है और विशेष रूप से महिलाएं इसे धर्म, स्वास्थ्य और परिवार की समृद्धि के लिए करती हैं. यह व्रत वर्ष में लगभग 12 से 13 बार आता है और इसे कम से कम 5 वर्ष तक करने की परंपरा है. श्रद्धालु अपनी सामर्थ्य अनुसार इसे 7, 9 या 11 वर्षों तक भी कर सकते हैं. व्रत की समाप्ति पर उद्यापन (उपसंहार) कर पुण्य लाभ अर्जित किया जाता है.

पूजा विधि: इस दिन व्रती महिला प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती है. घर या मंदिर में भगवान महावीर और रोहिणी देवी की प्रतिमा स्थापित कर निर्जल उपवास रखा जाता है. पूजा में धूप, दीप, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद नवकार मंत्र और रोहिणी व्रत कथा का पाठ किया जाता है. संध्या समय आरती और मंगल पाठ के साथ व्रत की संकल्पना दोहराई जाती है. इस व्रत को करने से जीवन में शांति, रोगों से मुक्ति, सौभाग्य और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली महिलाओं को संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और परिवार में समृद्धि मिलती है.