Royal Challengers Bengaluru: इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन यानी IPL 2025 की विजेता टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को बेचने की तैयारी चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैकडॉवेल्स व्हिस्की बनाने वाली कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (USL) RCB को 2 अरब डॉलर यानी करीब 17 हजार करोड़ रुपए में बेचने पर विचार कर रही है।

बता दें कि RCB को सबसे पहले साल 2008 में तत्कालीन किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के मालिक विजय माल्या ने खरीदा था। हालांकि, 2012 में यह कंपनी बंद हो गई। उसके बाद टीम को माल्या की अगुवाई में यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (USL) ने खरीद लिया था, लेकिन माल्या के दिवालिया होने के बाद USL ने कंपनी की एक बड़ी हिस्सेदारी ब्रिटिश लिकर कंपनी डियाजियो को बेच दी। वर्तमान में डियाजियो यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (DUSL) के पास RCB की कुल 55 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है और उसका संचालन USL की सब्सिडियरी रॉयल चैलेंजर्स स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (RCSPL) करती है।

ऐसा हुआ तो IPL के इतिहास का सबसे बड़ा सौदा होगा

सूत्रों के मुताबिक, डियाजियो इस समय शुरुआती चरण में संभावित सलाहकारों के साथ हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रही है। यह हिस्सेदारी आंशिक या पूरी तरह से बेची जा सकती है। अगर RCB की टीम 2 अरब डॉलर में बिक जाती है तो यह आईपीएल के इतिहास का सबसे बड़ा सौदा होगा, क्योंकि इससे पहले कोई टीम इतनी बड़ी कीमत में नहीं बिकी है।

इससे पहले साल 2022 में जब आईपीएल में दो नई टीमें आईं तो लखनऊ सुपर जायंट्स को RPSG ग्रुप ने 7,090 करोड़ रुपये में खरीदा था। वहीं CVC कैपिटल ने 5,625 करोड़ रुपये में गुजरात टाइटंस को खरीदा था।

गौरतलब है कि हाल ही में RCB ने अपना पहला IPL खिताब जीता है, जिससे इसकी ब्रांड वैल्यू और कमर्शियल अपील काफी बढ़ गई है। टीम के पास विराट कोहली जैसे लोकप्रिय खिलाड़ी हैं, जिनकी सोशल मीडिया पर फॉलोइंग बहुत ज्यादा है। इससे टीम की डिजिटल मौजूदगी भी मजबूत हुई है।

कंपनी ने क्यों किया RCB को बेचने का फैसला?

डियाजियो को अपने प्राथमिक बाजार अमेरिका में इस समय बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां टैरिफ और कम उपभोक्ता खर्च प्रीमियम स्पिरिट्स की बिक्री को प्रभावित कर रहे हैं। खिताबी जीत के बाद वैल्यू बढ़ने की वजह से डियाजियो को RCB में अपनी हिस्सेदारी की संभावित बिक्री से एक बड़ी राशि मिलने की उम्मीद है। ऐसे में कंपनी मानती है कि यह टीम को बेचने का सबसे सही समय है।

इसके अलावा भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा IPL में तंबाकू और शराब ब्रांडों के प्रचार पर प्रतिबंध लगाने पर जोर देना भी RCB को बेचने की एक बड़ी वजह है। खेल हस्तियों द्वारा अन्य अस्वास्थ्यकर वस्तुओं के अप्रत्यक्ष प्रचार को रोकने के लिए भारत में तंबाकू और शराब उत्पादों के विज्ञापन प्रतिबंधित हैं। ऐसे में डियाजियो जैसी कंपनियां शीर्ष क्रिकेटरों का उपयोग सोडा जैसे अन्य उत्पादों का प्रचार करने में कर रही हैं। RCB के बिकने के बाद डियाजियो अमेरिका में अपने मुख्य परिचालन (शराब) पर ध्यान केंद्रित कर सकती है और अपने वैश्विक परिसंपत्तियों का विस्तार कर सकती है।

क्या बदलेगा नाम?

टीम का नाम पहले रॉयल चैलेंजर्स बेंगलौर से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु हो चुका है। बेचने के बाद यह खरीदने वाली टीम पर निर्भर करता है कि वह इस टीम का नाम बदलती है या नहीं। हालांकि RCB की फैन फॉलोइंग और ब्रांडिंग को देखते हुए नाम बदलना सही नहीं होगा। लेकिन अगर डियाजियो से भी कोई बड़ी कंपनी RCB को खरीद लेती है तो फिर नाम बदल सकता है।

2008 में 476 करोड़ रुपये थी RCB की कीमत

गौरतलब है कि आईपीएल की शुरुआत यानी 2008 में RCB की कीमत 111.6 मिलियन डॉलर यानी करीब 476 करोड़ रुपये थी। तब RCB आईपीएल की दूसरी सबसे महंगी टीम थी। विजय माल्या ने अपनी कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड को RCB का मालिकाना हक दे रखा था। 2014 में ब्रिटिश कंपनी डियाजियो ने यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड की एक बड़ी हिस्सेदारी खरीदी और फिर 2016 में कंपनी ने पूरी RCB को खरीद लिया।

कौन हो सकते हैं संभावित खरीदार?

फिलहाल किसी खरीदार का नाम सामने नहीं आया है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ बड़े कॉर्पोरेट घराने और इंटरनेशनल स्पोर्ट्स ब्रांड्स इस डील में दिलचस्पी ले सकते हैं। 2015 में JSW ग्रुप ने RCB को खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन वह डील नहीं हो सकी। आज के समय में जब स्पोर्ट्स फ्रेंचाइजी एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मॉडल बन चुकी हैं, ऐसे में इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट फंड्स, मीडिया कंपनियां और यहां तक कि टेक दिग्गज भी इसमें कूद सकते हैं।

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