RPF Latest News: प्रतीक चौहान. रायपुर/नागपुर. रेल मंत्री रेलवे के अधिकारियों के खर्चों में कितनी भी कटौती का प्रसास कर लें, लेकिन सच्चाई ये है कि रेल मंत्री की इस पहल में रेलवे के अधिकारी ही रोड़ा साबित हो रहे है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (South East Central Railway) में आलम ये है कि रेलवे के अधिकारियों को 60 किलोमीटर दूर के आरपीएफ पोस्ट का निरीक्षण करने के लिए कार चाहिए, इतना ही नहीं इतनी दूरी तय करने के लिए भी अधिकारियों को दो दिन का समय लग जाता है. अब दिल्ली रेलवे बोर्ड के आरपीएफ के लिए ये जांच का विषय है कि ऐसा कौन सा डिटेल निरीक्षण था जिसे करने के लिए आरपीएफ के डीआईजी को दो दिन लग गए.
आरपीएफ के सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया है कि रेलवे बोर्ड से यदि कोई टीम नागपुर जांच के लिए आ जाए तो इस पूरे डिटेल निरीक्षण की पोल खुल जाएगी जो पिछले दिनों डीआईजी ने नागपुर रेल मंडल में किया था.
लल्लूराम के सूत्रों का दावा है कि ये आरपीएफ के लिए जांच का विषय है कि डीआईजी ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के मोतीबाग आरपीएफ पोस्ट का ऐसा क्या निरीक्षण किया कि उन्हें पूरे एक दिन यहां लग गए. सूत्रों ने तो यहां तक दावा है कि डीआईजी ने एक दिन पहले अपने रिडर को थाने के तमाम रजिस्टर की जांच करने भेज दिया था, अब इस बात में कितनी सच्चाई है ये आरपीएफ के रेलवे बोर्ड की टीम के आने के बाद ही होगा. क्योंकि मामला आरपीएफ के DIG का है.
सूत्रों के दावों पर यकीन करें तो डीआईजी के साथ उनकी पत्नी भी नागपुर पहुंची थी, हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं मिले है, लेकिन इतवारी रेलवे स्टेशन में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच से ये स्पष्ट हो जाएगा.
इसके बाद अगले दिन डीआईजी 60 किलोमीटर दूर (इतवारी से भंडारी की दूरी) भंडारा निरीक्षण पहुंचे. यहां भी उन्हें 1 दिन लग गया. हालांकि सूत्रों का दावा है कि वे नागपुर के कई स्पॉट भी घुमने गए थे जो पूरे तरीके से गोपनीय है और इतनी जानकारी चुनिंदा अफसरों को ही है. सूत्रों का दावा है कि नागपुर के कई स्पॉट घुमने में पूरा समय मिले, इसलिए रीडर को एक दिन पहले आरपीएफ पोस्ट भेज दिया गया था, जिसकी जांच उन्होंने की और इसके प्रमाण भी थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे में मौजूद है.