दुर्ग आरपीएफ पोस्ट के साहब के एक खास की. वैसे मौका होली का था, लेकिन कागजों में ड्यूटी दिखाई गई. ड्यूटी के लिए थाने से नीली बत्ती लगी गाड़ी भी मिली. लेकिन साहब के खास ने नीली बत्ती लगी गाड़ी में घूम-घूम कर खूब होली खेली. अब ये जांच का विषय है कि सिर्फ होली ही खेली या होली इंजॉय भी की.

प्रतीक चौहान. आरपीएफ में साहब के खास होने के कई फायदे होते है. साहब चाहे बड़े हो, या छोटे, लेकिन खास को इसका पूरा लाभ मिलता है. पोस्टिंग से लेकर ड्यूटी करने तक हर खास का पूरा ख्याल रखा जाता है, क्योंकि खास होने के लिए प्रोटोकॉल सेवा जो साहब चाहते है… जो करेगा वो खास तो होगा ही… और जो नहीं करेगा उसे खास से ‘आम’ करने में भी देरी नहीं की जाती खैर…


ये बात आरपीएफ में किसी से छिपी नहीं है कि थाने से लेकर जोन स्तर तक तमाम साहबों के खास होने के बहुत से फायदे होते है. इसका फायदा आरक्षक से लेकर इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर से लेकर कमांडेंट स्तर के अधिकारियों को मिलता है. लेकिन यदि आप खास नहीं, तो आरपीएफ में इसके बदले कैसे लिए जाते है ये भी किसी से छिपा नहीं है. लेकिन आज हम बात कर रहे है दुर्ग आरपीएफ पोस्ट के साहब के एक खास की. वैसे मौका होली का था, लेकिन कागजों में ड्यूटी दिखाई गई.
ड्यूटी के लिए थाने से नीली बत्ती लगी गाड़ी भी मिली. लेकिन साहब के खास ने नीली बत्ती लगी गाड़ी में घूम-घूम कर खूब होली खेली. अब ये जांच का विषय है कि सिर्फ होली ही खेली या होली इंजॉय भी की.
साहब के इस खास आरक्षक का जलवा दुर्ग आरपीएफ पोस्ट में इन दिनों खूब चल रहा है. जलवा चले भी क्यों न सभी साहब की सेवा के लिए इस आरक्षक को स्पेशल ड्यूटी जो दी गई है. यही कारण है कि यदि कोई स्टॉफ पोस्ट में किसी अवैध वेंडर को पकड़कर भी लाए तो स्पेशल वाले आरक्षक का जलवा इतना है कि वो बिना कार्रवाई के उन्हें छुड़वा लेते है. इन सभी के प्रमाण थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज में मौजूद है.
लेकिन आरपीएफ में भला किसी खास पर कोई कार्रवाई नहीं होती और आरपीएफ स्टॉफ भी खुद दबी जुबान ये कह रहे है कि इस खास पर कार्रवाई की उम्मीद करना भी बईमानी है.