Mohan Bhagwat On Centenary Celebrations Of RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) आज विजयादशमी पर संगठन का शताब्दी समारोह मना रहा है। 100 वर्ष पूर्व विजयदशमी के महापर्व पर आरएसएस यानी संघ की स्थापना हुई थी। विजयादशमी के मौके पर नागपुर में मुख्य कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जिसमें 21 हजार स्वयंसेवक शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआज संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शस्त्र पूजन के साथ की। इसके बाद स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम अटैक, ट्रंप के टैरिफ समेत कई विषयों पर अपनी बात रखी।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि यह साल श्रीगुरुतेग बहादुकर के बलिदान का 350वां वर्ष है। हिंद की चादर बनकर जिन्होंने अन्याय से समाज की मुक्ति के लिए अपना बलिदान दिया। ऐसे विभूति का स्मरण इस साल होगा। उन्होंने कहा कि आज गांधी जी की भी जयंती है। उनका योगदान अविस्मरणीय है। आजादी के बाद भारत का तंत्र कैसा चले उसके बारे में विचार देने वालों में उनका नाम था।
मोहन भागवत ने कहा कि कुछ महीनों पहले पहलगाम आतंकी दुर्घटना हुई थी। आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की थी। हमारी सरकार और सेना ने इसका जवाब दिया। इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला। उन्होंने कहा कि इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला। हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में चेतना रखनी होगी। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी सेना का शौर्य पूरी दुनिया ने देखा।
देश के अंदर संवैधानिक उग्रवादी तत्व: भागवत
भागवत ने कहा कि देश के अंदर संवैधानिक उग्रवादी तत्व हैं, लेकिन सरकार की कड़ी कार्रवाई और लोगों में नक्सली विचारधारा के खोखलेपन और क्रूरता के प्रति जागरूकता के कारण उग्रवादी नक्सलवादी आंदोलन पर काफी हद तक काबू पाया गया है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में न्याय, विकास, सद्भावना और सहानुभूति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि आत्मनिर्भर बनकर और वैश्विक एकता के प्रति जागरूक होकर, हमें सुनिश्चित करना होगा कि निर्भरता हमारी मजबूरी न बने और हम अपनी इच्छानुसार कार्य कर सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है।
हमें अपनी सुरक्षा के लिए सजग रहना होगा
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सादगी विनम्रता के प्रतीक, जिन्होंने देश के लिए प्राण दिए ऐसे ही एक लाल बहादुर शास्ती की भी जयंती है। परिस्थिति एक जैसी नहीं होती, अनेक रंगो जैसी होती है। हमारी आशाएं और विश्वास को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि पहलगाम दुर्घटना हुई, धर्म पूछकर उनकी हत्या की गई। उसके चलते पूरे देश में क्रोध और दुख था। सेना और सरकार ने पूरी तैयारी से जवाब दिया। सारे प्रकरण में हमारे नेतृत्व की दृढता का चित्र प्रकाशित हुआ। यदि हम सबके प्रति मित्रता रखेंगे लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए सजग रहना होगा।
आज हमारी विविधताओं को खत्म करने की कोशिश की जा रही
आरएसएस प्रमुख ने कहा, शाखा से स्वंयसेवकों में राष्ट्र के प्रति भक्ति का निर्माण होता है। किसी भी देश को ऐसा होना हो तो समाज में एकता चाहिए। हमारा देश विविधताओं का देश है। बीच के काल में आक्रमण हुए विदेश भारत आ गए। यहां के लोगों ने उनके पंत को स्वीकार किया,अंग्रेज चले गए लेकिन कुछ परंपराएं यहां रह गईं। अब हम उन परंपराओं का सम्मान कर रहे हैं। हम उन्हें पराया नहीं मानते। हम दुनिया की सभी परंपराओं का स्वागत करते हैं। आज अपने देश में इन विविधताओं को भेद में बदलने की कोशिश चल रही है। सब अपनी जगह ठीक हैं हम एक ही हैं हम अलग नहीं है। एकता के चलते हमारा सबका आपस का व्यवहार सम्मानपूर्वक होना चाहिए। सब के अपने पूजा स्थान हैं। उनका सम्मान होना चाहिए। यहां सब साथ रहते हैं, जैसे बर्तन साथ रहते हैं, तो आवाज हो जाती है। समाज में इतने लोग हैं अगर छोटी बातों पर कुछ हो जाता है, सड़क पर निकल आए, तो यह ठीक नहीं है। शासन प्रशासन अपना काम बिना पक्षपात के करते हैं, लेकिन समाज की युवा पीढ़ी को सजग होना पड़ेगा, क्योंकि ये अराजकता का व्याकरण है, इसे रोकना पड़ेगा। हमारा एकता का आधार हमारी विविधिता है। भारत की विशेषता है वो सर्व समाजसेवक है।
दुनिया भारत की ओर देखती है
मोहन भागवत ने कहा, दुनिया में बेचैनी है, उथल-पुथल है, इसके बीच दुनिया भारत से अपेक्षा कर रही है। नियति भी यही चाहती है कि भारत कोई हल निकालेगा। भारत उन्हें मार्गदर्शन देगा। पहली बात है कि दुनिया की व्यवस्था में परिवर्तन तो चाहिए, लेकिन सभी आगे चल रहे हैं। एकदम पीछे मुड़ेंगे तो गाड़ी पलट जाएगी, इसलिए धीरे-धीरे कदमों से पीछे पलटना होगा। तब इस व्यवस्था का सही से काम होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया को धर्म की दृष्टि देनी होगी। यह सबको चलने वाला उन्नति वाला मार्ग दुनिया को देना होगा। ऐसा संघ भी मानता है। जैसा समाज है वैसी व्यवस्था चलेगी। इसलिए समाज को बदलना होगा ताकि सिस्टम बदल सके। समाज को नए आचरण में ढालना होता है।
ट्रंप की टैरिफ पर क्या बोले
भागवत ने कहा कि अमेरिका ने टैरिफ अपने भले के लिए अपनाया होगा, लेकिन इसका असर सभी देशों पर पड़ेगा। उन्होंने जोर दिया कि भारत को किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और निर्भरता को मजबूरी में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया। भागवत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का होना जरूरी है, लेकिन यह मजबूरी का कारण नहीं होना चाहिए।
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