Mohan Bhagwat: नई दिल्ली। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो वे खुद 75 की उम्र में रिटायर होंगे और न ही किसी को ऐसा करने के लिए कहेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संघ में रिटायरमेंट की कोई परंपरा नहीं है, यहां स्वयंसेवक जीवनभर सेवा करते हैं।

पत्रकारों से बातचीत में कही बात
कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों ने उनसे पूछा कि नेताओं को 75 साल की उम्र के बाद राजनीति से संन्यास लेने की बात पर उनका क्या कहना है। जवाब में मोहन भागवत ने कहा कि मोरोपंत पिंगले इतने हास्य-विनोदी थे कि उनकी हाजिरजवाबी सुनकर लोग अपनी कुर्सी पर उछल पड़ते थे। एक बार हमारे कार्यक्रम में हम सभी अखिल भारतीय कार्यकर्ता थे और उन्होंने अपने 70 वर्ष पूरे कर लिए थे, इसलिए उन्हें एक शॉल प्रदान किया गया और कुछ कहने को कहा गया। उन्होंने खड़े होकर कहा, ‘आप सोच रहे होंगे कि आपने मुझे सम्मानित किया है, लेकिन मैं जानता हूं कि जब यह शॉल दिया जाता है तो इसका मतलब है कि आप शांति से कुर्सी पर बैठें और देखें कि क्या हो रहा है। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा और दूसरों को भी इसके लिए कहूंगा।’
पहले दिए गए बयान से मची थी हलचल
दरअसल, कुछ दिनों पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि 75 की उम्र बधाई की नहीं, विदाई की होती है। 75 साल की उम्र में नेताओं को रिटायर हो जाना चाहिए। मोहन भागवत ने यह बात 9 जुलाई को संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’ के विमोचन समारोह में कही थी।
भागवत ने कहा था कि 75 साल की उम्र में शॉल ओढ़ाए जाने का मतलब है कि उम्र हो चुकी है, अब दूसरों को मौका देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद से सियासी गलियारे में हलचल मच गई। वह इसलिए क्योंकि सितंबर 2025 में मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही 75 साल के हो जाएंगे। संघ प्रमुख का जन्मदिन 11 सितंबर और पीएम मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर को है।
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