RSS Chief Mohan Bhagwat speaks on Sanskrit Language: भाषा को लेकर अलग-अलग राज्य में भाषा विवाद जोरो पर है। इसका सबसे ज्यादा असर तमिल नाडु और महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है। अब समय आ गया है कि इसे बोलचाल की भाषा बनाया जाए। नागपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संस्कृत को केवल समझना नहीं, बोलना भी आना चाहिए।

भागवत ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय को सरकार का सहयोग तो मिलेगा ही लेकिन असली जरूरत लोगों के सहयोग की है। उन्होंने माना कि वे संस्कृत जानते हैं लेकिन धाराप्रवाह बोल नहीं पाते। उन्होंने कहा कि संस्कृत को हर घर तक पहुंचाना होगा और इसे बातचीत का माध्यम बनाना पड़ेगा।

RSS चीफ ने कहा कि आज देश में आत्मनिर्भर बनने की भावना पर आम सहमति है, लेकिन इसके लिए हमें अपनी बौद्धिक क्षमता और ज्ञान को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि भाषा केवल शब्दों का माध्यम नहीं, बल्कि भाव होती है और हमारी असली पहचान भी भाषा से ही जुड़ी होती है। आरएसएस प्रमुख ने यह बयान महाराष्ट्र के नागपुर के कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में अभिनव भारती अंतरराष्ट्रीय अकादमिक भवन के उद्घाटन समारोह में दिया।

‘स्वत्व’ ही भारत की ताकत है

उन्होंने कहा कि भारत की असल ताक़त उसकी स्वत्व (ओनरशिप) है, यानी आत्मनिर्भरता से उपजा आत्मबोध. स्वत्व कोई भौतिक चीज नहीं है, बल्कि एक वैचारिक भाव है, जिसे भाषा के ज़रिए व्यक्त किया जाता है.

संस्कृत से जुड़ना, देश को समझना

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संस्कृत को जानना, देश को समझने के समान है. हमारे लिए वैश्विक बाजार नहीं, बल्कि वैश्विक परिवार महत्वपूर्ण है — यही ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना है.

‘वसुधैव कुटुंबकम्’ बनाम पश्चिम का वैश्विक बाज़ार

उन्होंने कहा कि पश्चिम देश ‘ग्लोबल मार्केट’ की बात करते हैं, भारत ‘ग्लोबल फैमिली’ की बात करता है. जब भारत ने 2023 में G20 की अध्यक्षता की, तब इसकी थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ ही थी.

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