जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एबीवीपी (ABVP) और वामपंथी छात्र समूहों के बीच जमकर झड़प हुई। विवाद की वजह रावण के पुतले पर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और शरजील इमाम की तस्वीर लगाने और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान कथित पत्थरबाजी रही। एबीवीपी ने आरोप लगाया कि लेफ्ट समर्थित छात्रों ने विसर्जन जुलूस पर चप्पलें दिखाई और पत्थर फेंके। वहीं, वामपंथी संगठनों ने पलटवार करते हुए कहा कि एबीवीपी ने रावण दहन कार्यक्रम का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए किया और छात्रों की धार्मिक भावनाओं का शोषण किया।

अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) ने एबीवीपी (ABVP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। AISA ने अपने बयान में कहा कि एबीवीपी ने राजनीतिक प्रचार के लिए धार्मिक आयोजन का सहारा लिया और रावण दहन में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और शरजील इमाम को रावण के रूप में दिखाया। AISA ने इसे इस्लामोफोबिया का उदाहरण बताते हुए कहा कि एबीवीपी धार्मिक भावनाओं का शोषण कर छात्रों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि उमर खालिद और शरजील इमाम सीएए विरोधी प्रदर्शनों और 2020 दिल्ली दंगों की साजिश से संबंधित मामलों में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

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AISA ने इसे “इस्लामोफोबिया का परफेक्ट उदाहरण” बताते हुए कहा कि यह धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया गया शोषण है। अपने बयान में AISA ने सवाल उठाया कि एबीवीपी ने रावण के पुतले पर नाथूराम गोडसे, गुरमीत राम रहीम सिंह या 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं की तस्वीरें क्यों नहीं लगाईं। संगठन ने कहा कि उमर खालिद और शरजील इमाम को रावण के रूप में दिखाना न केवल पक्षपातपूर्ण है, बल्कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश भी है।

AISA ने अपने बयान में कहा, “जेएनयू नफरत और इस्लामोफोबिया की राजनीति को खारिज करता है।” संगठन ने छात्रों से आह्वान किया कि वे आरएसएस-एबीवीपी की “विभाजनकारी राजनीति” के खिलाफ खड़े हों।

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विवाद के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर परिसर का माहौल बिगाड़ने और सांस्कृतिक वातावरण को विकृत करने के आरोप लगाए। जहां एबीवीपी ने लेफ्ट छात्रों पर दुर्गा विसर्जन जुलूस पर पथराव करने का आरोप लगाया, वहीं लेफ्ट संगठनों ने एबीवीपी को धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थों के लिए करने वाला बताया।

ABVP ने लगाया जुलूस पर पथराव का आरोप

एबीवीपी का कहना है कि आइसा, एसएफआई और डीएसएफ से जुड़े छात्रों ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस पर अचानक पथराव किया। एबीवीपी के बयान के मुताबिक, यह घटना शाम करीब 7 बजे साबरमती टी-पॉइंट के पास हुई, जिसमें कई छात्र-छात्राएं घायल हो गए। संगठन ने आरोप लगाया कि लेफ्ट समर्थित समूहों ने न केवल पथराव किया बल्कि जुलूस के दौरान अपशब्द भी कहे और चप्पलें भी दिखाई। JNU में एबीवीपी अध्यक्ष मयंक पांचाल ने कहा, “यह सिर्फ धार्मिक आयोजन पर हमला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की उत्सव परंपरा और छात्रों की आस्था पर सीधा हमला है। एबीवीपी किसी भी कीमत पर इस तरह के सांस्कृतिक आक्रमण को बर्दाश्त नहीं करेगी।” एबीवीपी ने इस घटना से जुड़ी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।

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जेएनयू में एबीवीपी के मंत्री प्रवीण पीयूष ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “दुर्गा विसर्जन जैसे पवित्र कार्य के दौरान पथराव और छात्राओं पर हमला करना बेहद निंदनीय और शर्मनाक है।” उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की। वहीं, वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्र संगठनों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एबीवीपी बेबुनियाद दावे कर रही है और धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है।

छात्रसंघ के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विजयादशमी के अवसर पर छात्रसंघ ने आह्वान किया था कि “नक्सल रूपी रावण” और “वामपंथी-माओवादी शक्तियों” का दहन किया जाएगा। मीणा ने कहा कि नौ दिन तक दुर्गा पूजा आयोजित करने के बाद विजयादशमी के दिन मूर्ति विसर्जन और शोभा यात्रा निकाली गई। इस दौरान रावण के पुतले पर अफजल गुरु, उमर खालिद, शरजील इमाम, जी. साईं बाबा और चारु मजूमदार जैसे लोगों की तस्वीरें लगाई गईं और “नक्सल व अलगाववाद रूपी रावण” का दहन किया गया। उनके अनुसार, जब शोभा यात्रा साबरमती टी-पॉइंट पर पहुंची तो वहां वामपंथी संगठनों के छात्र मौजूद थे। आरोप है कि इन छात्रों ने पहले अपना कार्यक्रम बदलकर उसी स्थान पर कब्जा किया और फिर शोभा यात्रा पर जूते-चप्पल और पत्थर फेंके, जिससे कई छात्र घायल हो गए। वैभव मीणा ने कहा कि इस घटना की शिकायत लेकर छात्रसंघ पुलिस के पास जाएगा और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग करेगा।

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