एसआर रघुवंशी, गुना। मध्य प्रदेश में गुना जिले में मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई के दौरान उस वक्त हंगामा मच गया जब एक किसान ने प्रशासन की अनदेखी से आहत होकर कीटनाशक पीने का प्रयास किया। घटना से कलेक्ट्रेट परिसर में अफरा-तफरी मच गई। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला।

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क्या है मामला
घटना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल की उपस्थिति में घटी। जब बमोरी तहसील के ग्राम बनियानी से आए एक किसान ने प्रशासन की अनदेखी से आहत होकर कीटनाशक पीने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि, बनियानी निवासी लालाराम, परशुराम पुत्र सोहनलाल बंजारा और उनके परिवार के अन्य सदस्य पिछले कई महीनों से अपनी कृषि भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। पीड़ित परिवार की जमीन ग्राम बनियानी पंचायत चकलोड़ा में स्थित है, जिसका सर्वे क्रमांक 87/1/15, 87/1/52 व 37/1/56 है। इन जमीनों का कुल रकवा क्रम 4.180 हेक्टेयर, 2.000 हेक्टेयर और 3.135 हेक्टेयर है।

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जमीन पर किया जबरन कब्जा
परिवार ने बताया कि, उन्होंने छह साल पहले हनुमान मूडरा निवासी जगदीश पुत्र इंद्राज मीना को अपनी जमीन एक साल के लिए ठेके पर दी थी। लेकिन ठेके की अवधि खत्म होने के बाद भी उसने जबरन कब्जा कर रखा है। जब भी परिवार अपनी जमीन पर जाने का प्रयास करता है, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है। जिसे लेकर पीड़ित परिवार पिछले कई महीनों से जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज करवा रहा है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस बार भी जब परिवार ने अपनी शिकायत दोहराई और कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उनमें गहरी निराशा छा गई।

न्याय न मिलने से किसान ने उठाया बड़ा कदम
जिसके चलते गुस्से में परिवार के एक सदस्य ने अपने साथ लाई कीटनाशक की शीशी निकालकर पीने की कोशिश की। मौके पर मौजूद तहसीलदार और पुलिसकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप कर किसान के हाथ से शीशी छीन ली और उसमें मौजूद कीटनाशक नीचे फेंक दिया। इसके बाद प्रशासन ने परिवार को एक अलग कक्ष में बुलाकर उनकी समस्या सुनी। घटना के बाद कलेक्ट्रेट में हंगामा मच गया। वहां मौजूद लोग प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाने लगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने पहले ही उचित कदम उठाया होता, तो किसान को इतना बड़ा कदम उठाने की नौबत नहीं आती।

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अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या पीड़ित परिवार को उनकी जमीन वापस मिलेगी, या फिर वे आगे भी इसी तरह न्याय की गुहार लगाते रहेंगे? आगामी दिनों में प्रशासन की कार्रवाई से यह स्पष्ट होगा। फिलहाल, यह घटना जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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