कुमार इंदर, जबलपुर। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण अधिनियम लागू नहीं करने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने अनारक्षित पदों को भरने के पूर्व आरक्षित पदों की भर्ती को आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन मान हाई सचिव , एडिशनल डायरेक्टर कृषि विभाग और एम्प्लॉय सिलेक्शन बोर्ड से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने पूछा है कि, साल 2020 में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के 166 पद पर हुई भर्ती में अनियमितता क्यों बरती गई। जिला दमोह निवासी सुरेंद्र यादव ने याचिका में बताया है कि, UR के कटऑफ 137.5 है तो ओबीसी का कटऑफ 140.75 कैसे हो गया। याचिका में पूछा गया है कि, ओबीसी के मेरीटोरियस अभ्यर्थियों का चयन UR मे क्यों नहीं किया गया। याचिका की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति विशाल धगत की बेंच ने की। याचिकाकर्ता ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा 2020 मे अनियमितता को चुनौती दी हैं।
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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, डॉ.प्रतिक्षा सिंह, रूप सिंह मरावी, पुष्पेन्द्र शाह ने माननीय न्यायालय को बताया की, अनारक्षित के कुल 166 पदों पर नियुक्ति आदेश जारी किए बिना ही ओबीसी, एससी व एस टी वर्ग के पदों पर नियुक्ति आदेश जारी किया गया है। अनारक्षित पदों पर नियुक्ति आदेश बाद में जारी करने से UR के कटऑफ 137.5 और ओबीसी का कटऑफ 140.75 हो गया है जो मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि, आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के अनुसार अनारक्षित पदों पर अंतिम चयनित अभ्यर्थियों से अधिक अंक प्राप्त करने वाले ओबीसी, एससी व एसटी के अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित में किया जाना चाहिए। अनारक्षित के कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन उनके आरक्षित वर्ग में चयन करना आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) उल्लंघन है और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 14 के अनुसार शून्य घोषित किया जाने योग्य है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दस्तावेज पेश कर न्यायालय को बताया कि, ओबीसी वर्ग में शामिल अंतिम चयनित अभ्यर्थियों का अंक 140.75 है अर्थात ओबीसी वर्ग का कट ऑफ 140.75 है।
वहीं सरकार की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने जितना अंक प्राप्त किए हैं उससे कम अंक प्राप्त करने वाले किसी भी अभ्यर्थी को नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया गया है। सरकार की तरफ से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता जो ओबीसी वर्ग से संबंधित है के अंक 136.49 है और अनारक्षित मे अंतिम चयनित अभ्यर्थिय का अंक 136.5 है। इसलिए याचिका चलने योग्य नहीं है और प्रारंभिक स्तर पर की खारिज कर देना चाहिए। सरकार के जवाब से असंतुष्ट न्यायालय ने लिखित जवाब तलब किया और सचिव कृषि विभाग तथा एडिशनल डायरेक्टर कृषि विभाग और एम्प्लॉय सिलेक्शन बोर्ड को नोटिस जारी किया। अब मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी, 24 को होगी।
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