शिखिल ब्यौहार, भोपाल। ग्रामीण क्षेत्रों की श्रम शक्ति को रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे अच्छी स्थिति में है। यहां यह बेरोजगारी दर कुल श्रम शक्ति की 0.8 प्रतिशत है। इसके बाद झारखंड की 0.9 प्रतिशत है। वहीं गुजरात और छत्तीसगढ़ की 1.4 प्रतिशत है। हालांकि, मध्य प्रदेश की शहरी बेरोजगारी दर लगभग पांच प्रतिशत है।
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यह आंकड़े वर्ष 2022-23 के हैं जो श्रम एवं रोजगार मंत्री द्वारा इसी माह राज्य सभा में प्रस्तुत किए गए हैं। अच्छी बात है कि मध्य प्रदेश का कामगार-जनसंख्या अनुपात भी बीते चार वर्ष में 52 से बढ़कर 63 प्रतिशत हो गया है।
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श्रम मंत्री ने राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) द्वारा कराए जाने वाले आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी दी है।कामगार जनसंख्या अनुपात दर यानी कुल जनसंख्या में काम करने वालों का प्रतिशत देखें तो यह दर हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 70 प्रतिशत से अधिक है। मप्र में कुल आबादी में 63 प्रतिशत लोग ही कामकाजी हैं। बिहार की खराब स्थिति है जहां यह दर 47 प्रतिशत है, जबकि दिल्ली में 45.8 प्रतिशत है।
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