नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का आज सातवां दिन है। दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध ने विश्व समुदाय को चिंता में डाल दिया है। चिंता युद्ध के उस बड़े अंजाम को लेकर है जिसे सोचने से भी सिहरन पैदा हो जाती है। हम बात कर रहे हैं परमाणु युद्ध की और हिरोशिमा नागासाकी की उस तबाही की जिसे यूक्रेन में दोहराए जाने की आशंका दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रही है।

युद्ध के दौरान बीच का रास्ता निकालने के लिए दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के असफल होने के बाद यूक्रेन में रूस का हमला तेज हो गया है। रूसी सेना पहले से ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ घातक हथियारों का इस्तेमाल शुरु कर दिया है। इस युद्ध में रूस ने एक ऐसे खतरनाक बम ‘वैक्यूम बम’ का इस्तेमाल किया है जो चंद सेकंड में ही शरीर को राख कर देता है। उधर यूक्रेन को मिल रहे समर्थन और युद्ध सामग्री के बीच रूस द्वारा परमाणु बम के इस्तेमाल का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आ रही अपुष्ट खबरों के मुताबिक युद्ध को निर्णायक मोड़ पर लाने के लिए रूस ने परमाणु अस्त्र के इस्तेमाल करने की योजना बना ली है।

क्या हुआ था हिरोशिमा नागासाकी में ?

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब जापान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं था और जापानी सेना अमेरिका को मुंह तोड़ जवाब दे रही थी। तब अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम का इस्तेमाल किया था। जिस दिन अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया था वो दिन था 6 अगस्त 1945 का। बताया जाता है कि दोनों शहरों पर परमाणु बम ने जमकर तबाही मचाई थी। परमाणु हमले के बात वहां का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। अकेले हिरोशिमा में तकरीबन डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई थी। उसका रेडिएशन कई किलोमीटर तक फैल गया था, जिसके प्रभाव से सालों तक वहां लोगों की मौत होते रही।

परमाणु युद्ध हुआ तो अब क्या होगा अंजाम ?

परमाणु युद्ध हुआ तो हिरोशिमा नागासाकी से बड़ी तबाही हो सकती है। चंद मिनट में लाखों लोग मौत की भेंट चढ़ सकते हैं। परमाणु बम के इस्तेमाल का असर इसके बाद भी उस इलाके में सालों तक मौजूद रहेगा और उससे निकले रेडिएशन के प्रभाव से लोगों की मौत होते रहेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एक से ज्यादा परमाणु बम का युद्ध में इस्तेमाल हुआ तो ऐसी तबाही आएगी जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। न सिर्फ लाखों करोड़ों निर्दोष लोग मारे जाएंगे बल्कि ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही पूरी पृथ्वी का क्लाइमेट ही बिगड़ जाएगा। सदियों तक उसका प्रभाव नजर आएगा। पशु पक्षियों की कई प्रजातियां इस युद्ध में नष्ट हो सकती है। खुद मानव जीवन संकट में पड़ सकता है।