OctaFX भारत में शुरू की गई एक लॉन्ग टर्म पोंजी स्कीम के बहाने भारतीय नागरिकों से उनकी मेहनत की कमाई ठगना था. जांच एजेंसी ED ने हाल ही में OctaFX इंडिया, इसकी विदेशी परिचालन कंपनी ऑक्टामार्केट्स, संस्थापक पावेल प्रोज़ोरोव (Pavel Prozorov), OctaFX के CEO जिन्होंने भारत में परिचालन संभाला अन्ना रुदैया (Anna Rudaiah) और अन्य 9 व्यक्तियों और कुल 41 कंपनियों-संस्थाओं के खिलाफ दूसरा आरोप पत्र दायर किया है. जुलाई 2022 से अप्रैल 2023 तक केवल 9 महीने की छोटी अवधि में OctaFX ने भारत में अपने संचालन से लगभग 800 करोड़ रुपये कमा लिए. निवेशकाे को 3 महीने में 8 गुना रकम देने का झांसा देकर कंपनी ने ये रकम कमाया है.

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ईडी ने जिस अपराध के आधार पर जांच शुरू की, वह पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में 2021 में दो से तीन ब्रोकर और एजेंटों के खिलाफ दर्ज की गई एक FIR है, जिन्होंने OctaFX पर विदेशी मुद्रा व्यापार (forex trading) के माध्यम से अपनी बचत को पांच महीने में दोगुना और आठ महीने में तिगुना करने का लालच देकर मूक-बधिर लोगों को ठगा था, निवेशकों ने करोड़ों की बड़ी रकम इसमें खो दी और फिर ब्रोकर्स के उपर एफआईआर दर्ज की गई, जिन्होंने OctaFX का प्रचार किया था.

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इन ब्रोकर्स को लोगों को ठगने के बदले लग्जरी कार, बाइक, सोने के सिक्के और बिस्कुट जैसे बोनस के रूप में पेमेंट दिया जाता था. ऑनलाइन और सोशल मीडिया विज्ञापन प्रचार के साथ क्षेत्रवार प्रभावशाली लोगों और टीवी हस्तियों और यहां तक ​​कि शीर्ष बॉलीवुड अभिनेताओं के जरिए ब्रोकर बड़ी संख्या में निवेशकों को लुभाने में कामयाब रहे.

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इसके लिए गोवा के कुछ शीर्ष फाइव स्टार होटलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें एजेंटों और दलालों को आमंत्रित किया और उन्हें इन आयोजनों में भारी बोनस राशि और उपहारों से सम्मानित किया. जानकारी के अनुसार इस प्लेटफ़ॉर्म ने चुनिंदा ग्राहकों और निवेशकों से करोड़ों की नकदी जैसी बड़ी रकम का निवेश करने की भी पेशकश की, खासकर बड़े परिचयकर्ताओं से, जिनके ऑनलाइन इतिहास से पता चलता है कि वे लंबे समय तक इससे जुड़े थे. ये नकद राशि उनके एजेंटों द्वारा एकत्र की गई और प्लेटफॉर्म को सौंप दी गई. इसके बाद शेल संस्थाओं के कई खातों में इसे जमा कराया गया. एक बार जब निवेश की गई रमक बड़ी हो गई, तो निवेशकों को चूना लगना शुरू हो गया. टियर टू या टियर थ्री शहरों के लोगों को ज्यादा टारगेट किया गया. 

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9 महीनें 800 कमाए 800 करोड़ रूपये

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में की गई जांच से पता चला है कि विदेशी मुद्रा व्यापार मंच OctaFX ने भारत में संचालन के सिर्फ 9 महीनों में अपराध की आय के रूप में 800 करोड़ रुपये कमाए. इसके अलावा, OctaFX प्लेटफ़ॉर्म ने निवेशकों की धोखाधड़ी गतिविधियों को छिपाने के लिए जानबूझकर रणनीति के तहत अपने लॉगिन URL और वेब एड्रेस कई बार बदले.

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प्लेटफ़ॉर्म ने व्यापारिक गतिविधियों में हेरफेर किया, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को भारी नुकसान हुआ, जबकि धोखाधड़ी वाले फंड को ई-वॉलेट और फर्जी संस्थाओं के खातों में भेज दिया गया. इसके अलावा, OctaFx ने शेल कंपनियों और नकली ई-कॉमर्स वेबसाइटों से जुड़े फर्जी अकाउंट बनाने के लिए फिनटेक कर्मचारियों का इस्तेमाल किया. इन संस्थाओं को भुगतान गेटवे एक्सेस प्राप्त करने के लिए बनाया गया था, जो निवेशकों के फंड को वैध खरीद के रूप में छिपाते थे. इसके बाद फर्जी इंपोर्ट और माल ढुलाई सेवाओं के बहाने से पैसे को विदेश भेजा गया.

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इस प्लेटफॉर्म ने आईपीएल टीम को स्पॉन्सर करने सहित ताबड़तोड़ प्रचार के जरिए लोकप्रियता हासिल की है, और प्रभावशाली मार्केटिंग के लिए तमाम प्रोडक्शन एजेंसियों को शामिल किया. इन प्रोडक्शन एजेंसियों को भुगतान विदेशी आवक प्रेषण के रूप में दो एस्टोनिया-आधारित कंपनियों के माध्यम से किया गया था, दोनों ऑक्टाफ़ैक्स की संबंधित संस्थाएं हैं और पावेल प्रोज़ोरोव द्वारा नियंत्रित हैं.

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ऐसे की जाती थी ठगी?

यूजर्स से फंड जुटाकर मुख्य रूप से UPI/लोकल बैंक ट्रांसफर के माध्यम से और डमी संस्थाओं के माध्यम से चैनलाइज़ किया गया. इस फंड को विभिन्न डमी संस्थाओं के बैंक खातों में जमा किया गया और लेयरिंग के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर अन्य बैंकों में ट्रांसफर किया गया. फॉरेक्स ट्रेडिंग की सुविधा के नाम पर फंड जुटाने के लिए ऑक्टाफ़क्स ट्रेडिंग ऐप पर निवेशकों/यूजर्स विभिन्न भारतीय बैंकों के कई खाते दिखाए जा रहे थे. इन निवेशकों/यूजर्स को धोखा देने के बाद उक्त संचित फंड को कई ई-वॉलेट खातों या डमी संस्थाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया.

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डमी संस्थाओं के खाता नंबर दर्शाने, इन खातों में एकत्रित फंड का प्रबंधन करने और उसी का डायवर्जन करने की पूरी प्रक्रिया OctaFX ग्रुप संस्थाओं के मालिकों द्वारा प्रबंधित और संचालित किया जा रहा था. 

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इसके अलावा, जांच से पता चला है कि जुलाई 2022 से अप्रैल 2023 तक केवल 9 महीने की छोटी अवधि में OctaFX ने भारत में अपने संचालन से लगभग 800 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण लाभ कमाया, जो कि अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है. हालांकि, OctaFX ने भारतीय क्षेत्र से अपने संचालन से कितना लाभ कमाया है, यह निर्धारित करने के लिए जांच अभी भी जारी है.

डमी निदेशकों की मदद से मनी लॉन्ड्रिंग 

OctaFX इंडिया का संचालन कई फर्जी खातों के माध्यम से किया जाता था, खाते कुछ संस्थाओं के थे, जिनमें भारतीय निदेशक थे, जिन्हें OctaFX अधिकारियों द्वारा यह सिखाया जाता था कि जब भी जरूरत हो, वे KYC सत्यापित करें. लेन-देन को वैध बनाने के लिए इन खातों से पैसे को सेबी पंजीकृत फंड में ट्रांसफर किया जाता था. इस पैसे को विदेश भेजने या इसे लूटने के लिए उन्होंने इंपोर्ट सर्विसेस का सहारा लिया, जबकि वास्तव में ऐसी कोई सर्विस नहीं दी गई या ली गई और अंततः फंड को देश के बाहर विभिन्न टैक्स हेवन या छोटे यूरोपीय देशों में ट्रांसफर किया गया.

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प्रोजोराव है मास्टर माइंड

मेसर्स OctaFX इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब टौगा प्राइवेट लिमिटेड) के निदेशक और रूसी नागरिक पावेल प्रोज़ोरोव, OctaFX के वैश्विक फॉरेक्स और सीएफडी ट्रेडिंग संचालन के पीछे के मास्टरमाइंड हैं. उन्होंने अवैध फंड की उत्पत्ति को छिपाने और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए नेटवर्क का संचालन किया. प्रोज़ोरोव द्वारा विनियामक खामियों का फायदा उठाना और भारत में नकली संस्थाओं की स्थापना करना वित्तीय धोखाधड़ी के लिए उनके सुनियोजित दृष्टिकोण का उदाहरण है. उन्होंने इन संस्थाओं का उपयोग रिकॉर्ड में हेरफेर करने के लिए किया, जिससे संदेह पैदा किए बिना विदेशों में धन हस्तांतरित किया जा सके. 

डमी संस्थाओं के खाता नंबर दर्शाने, इन खातों में एकत्रित फंड का प्रबंधन करने और उसी का डायवर्जन करने की पूरी प्रक्रिया OctaFX ग्रुप संस्थाओं के मालिकों द्वारा प्रबंधित और संचालित किया जा रहा था. इसके अलावा, जांच से पता चला है कि जुलाई 2022 से अप्रैल 2023 तक केवल 9 महीने की छोटी अवधि में OctaFX ने भारत में अपने संचालन से लगभग 800 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण लाभ कमाया, जो कि अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है. हालांकि, OctaFX ने भारतीय क्षेत्र से अपने संचालन से कितना लाभ कमाया है, यह निर्धारित करने के लिए जांच अभी भी जारी है.

साथ ही, प्रोज़ोरोव ने भारतीय निवेशकों को टारगेट करते हुए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाए, जिसमें सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट और स्पॉन्सरशिप शामिल था, जिससे OctaFX को बाज़ार में और भी मजबूती मिली. उनके कार्यों में सावधानीपूर्वक लेयरिंग, प्लेसमेंट और लॉन्डर किए गए फंड को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के रूप में एकीकृत करना शामिल था, जिससे उनके मूल को गलत तरीके से दर्शाया गया. ईडी से कई बार समन के बावजूद, प्रोज़ोरोव ने इसका पालन नहीं किया.

संस्थाओं का एक जटिल जाल स्थापित करने और वित्तीय प्रवाह को व्यवस्थित करने में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी स्पष्ट रूप से पीएमएलए की धारा 3 के अंतर्गत आती है, क्योंकि वह अपराध की आय को छिपाने, कब्जे में लेने, अधिग्रहण करने और उपयोग करने में लगे हुए थे. बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी को आसान बनाने और नियामक निरीक्षण से बचने में उनकी भूमिका के लिए वह पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंड के लिए भी उत्तरदायी हैं. 

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इस मामले में ईडी मुंबई ने पहले 1 अक्टूबर 2024 को माननीय विशेष न्यायालय (पीएमएलए), मुंबई के समक्ष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत मेसर्स OctaFX और इसकी संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) और 20 दिसंबर 2024 को पूरक अभियोजन शिकायत दायर की थी.

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प्रोजोरोव की 165 करोड़ की संपत्ति जब्त

कोर्ट ने 24 दिसंबर 2024 को पीसी और पूरक पीसी पर संज्ञान लिया है. ईडी ने व्यापक तलाशी कार्रवाई की है और अब तक स्पेन में स्थित 19 अचल संपत्तियों की कुर्की सहित लगभग 165 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क और जब्त की है. ये संपत्तियां मुख्य आरोपी पावेल प्रोज़ोरोव की हैं, जो OctaFX ऑपरेशन के पीछे का मास्टरमाइंड है. ईडी अधिकारियों ने कहा कि आगे की जांच जारी है.

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