Sachin Tendulkar Birthday: स्पोर्ट्स डेस्क. दुनिया के महान कवि विलियम शेक्सपियर ने अपने नाटक ‘टवेल्थ नाइट’ में लिखा था कि कुछ लोग महान पैदा होते हैं, कुछ महानता हासिल करते हैं और कुछ पर महानता थोप दी जाती है. इसके अलावा एक और वर्ग के लोग होते हैं जो अपनी कड़ी मेहनत से अपना कद बढ़ाते हैं और महानता के शिखर को छू लेते हैं.

वह हर सीमा को पार कर जाते हैं और अपने समर्थकों के लिए भगवान बन जाते हैं. क्रिकेट के महानतम खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) इसी वर्ग में आते हैं. अद्भुत प्रतिभा के धनी और कड़ी मेहनत के दम पर वह क्रिकेट के भगवान बन गए. 24 अप्रैल को सचिन जिंदगी की हाफ सेंचुरी लगा लेंगे.

भाई अजित और कोच आचरेकर का अहम योगदान

24 अप्रैल 1973 को मराठी साहित्यकार रमेश तेंदुलकर और रजनी (जो बीमा विभाग में काम करती थीं) के घर पैदा हुए सचिन कुछ भी बन सकते थे. यह तकदीर ही थी कि वह क्रिकेटर बने. उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने खेल के प्रति उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए जो सचिन के गुरु, गाइड और मेंटॉर रहे. उन्होंने सचिन को तराशा और उन्हें भारतीय खेलों का भगवान बना दिया.

सर्वाधिक रन और शतक का रिकॉर्ड बनाया

साढे 5 फुट के Sachin Tendulkar अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक 34,357 रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं. 24 वर्षों के अपने लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने भारत के लिए सभी प्रारूप में 100 शतक (51 टेस्ट और 49 वनडे) लगाएं. उनके नाम 200 टेस्ट में 15,921 रन हैं. क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक वनडे (463) खेलने वाले दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 49 शतक की मदद से 18,426 रन बनाए हैं. वह वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले पुरुष बल्लेबाज हैं. उन्होंने टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत के लिए एक मैच में 10 रन बनाए हैं.

6 विश्व कप खेलने वाले खिलाड़ी

Sachin Tendulkar ने एमएस धोनी की कप्तानी में 2011 में वनडे विश्व कप भी जीता. वह छह विश्व कप खेलने वाले कुछ क्रिकेटरों में से एक हैं. उन्होंने व्यक्तिगत रिकॉर्ड नहीं बल्कि अपनी टीम और देश के लिए क्रिकेट खेला. बेहद शांत भाव के इस खिलाड़ी ने बल्ले से अपने आलोचकों को जवाब देना उचित समझा. उन्होंने मैदान पर कदम रखने से पहले हमेशा सूर्य देवता को नमन किया.

शतक लगाकर पिता को दी श्रद्धांजलि

क्रिकेट के प्रति उनके जुनून का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व कप के दौरान जब उनके पिताजी का निधन हुआ तो सूचना मिलते ही वह घर आए. पिता की अन्त्येष्टि में शामिल हुए और वापस लौट गए. उसके बाद सचिन ने 23 मई, 1999 को अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का सबसे भावनात्मक शतक बनाया. इंग्लैंड में खेले गए वनडे विश्व कप के ग्रुप स्टेज मैच में केन्या के खिलाफ सेंचुरी लगाकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि दी.

भारत रत्न तेंदुलकर

सचिन देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले क्रिकेटर हैं. 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किया जा चुका हैं. क्रिकेटरों की कई पीढ़ियों को प्रभावित करने वाले सचिन अपने खेलने के दिनों में करोड़ो भारतीयों की उम्मीद हुआ करते थे.

फाउंडेशन के तहत गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद

रिटार्यमेंट के बाद सचिन का पूरा फोकस ‘सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन’ पर है. उनका मनना है कि यह सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए जुनूनी लोगों, संस्थानों और संसाधनों को एक जगह एकत्रित करने का मंच हैं. यह फाउंडेशन हमें बच्चों को समान अवसर देने और उनके लिए एक बेहतर दुनिया बनाने में मदद करेगा. उनकी फाउंडेशन गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती है और वह मध्य प्रदेश के देवास स्थित संदलपुर के 2300 बच्चों की मदद कर रहे हैं जो उनके पिता का सपना था.

ये खबरें भी जरूर पढ़े-