नई दिल्ली। भारत के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने आज ‘अनअकेडमी’ की आयोजित एक परिचर्चा में अपने करियर के कई बातों को साझा किया है. सचिन ने कहा कि अपने 24 साल के करियर के एक बड़े हिस्से को तनाव में रहते हुए गुजारा है. उन्होंने कहा कि मैंने 10-12 वर्षों तक तनाव महसूस किया था. मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था जब मैं रात में सो नहीं पता था. बाद में मैंने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का हिस्सा है. मैंने समय के साथ इस स्वीकार कर लिया कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी. मैं अपने दिमाग को सहज रखने के लिए कुछ और करने लगता था.
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि वर्ल्ड कप 2001 में भारत की जीत का दिन उनके क्रिकेट जीवन का बेस्ट दिन है. उन्होंने कहा कि इस दिन उनका सबसे बड़ा सपना सच हुआ था. भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को फाइनल में हराकर दूसरी बार वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया था. इस जीत की 10 वीं वर्षगांठ हाल ही में मनाई गई.
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सचिन ने वर्ल्ड कप 2001 में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक जड़े थे. उन्होंने अनएकेडमी के सत्र के दौरान कहा कि जब मैंने कपिल देव को साल 1983 में वर्ल्ड कप उठाते देखा था. ये एक अविश्वनीय अनुभव था. मैंने अपने दोस्तों के साथ इसका आनंद लिया और मैं इस सपने का पीछा करना चाहता था. मुंबई के वानखेड़े में ये अविश्वसनीय था. ये मेरे जीवन का सबसे अच्छा क्रिकेट का दिन था. आपने देश में कितनी बार जश्न मनाया है, बहुत कम चीजें हैं. जिन्हें पूरा देश मनाता हूं.
रिकार्ड 200 टेस्ट मैच खेल कर 2013 में संन्यास लेने वाले इस खिलाडी ने कहा कि मुझे मैच से पहले चाय बनाने, कपड़े इस्त्री करने जैसे कार्यों से भी खुद को खेल के लिए तैयार करने में मदद मिलती थी. मेरे भाई ने मुझे यह सब सिखाया था, मैं मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग तैयार कर लेता था और यह एक आदत सी बन गयी थी. मैंने भारत के लिए खेले अपने आखिरी मैच में भी ऐसा ही किया था.
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सचिन ने कोरोना के बारे में बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यह हम सभी के लिए कठिन समय है. हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते. अपने अनुभव के से कह सकता हूं मैं पूरी मेडिकल बिरादरी को धन्यवाद देता हूं. कैसे वो लोगों की जिंदगी बचाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं, कितने लोगों की मदद कर रहे हैं और इन्होंने कोई शिकायत नहीं की. सचिन भी कोविड-19 की चपेट में आ गए थे और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा था.
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