हिंदू परंपरा में मौली या कलेवा सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि अदृश्य सुरक्षा कवच मानी जाती है. अक्सर देखा गया है कि कई लोगों के हाथ में बंधा यह कलेवा अचानक टूट जाता है. कुछ लोग इसे अनदेखा कर देते हैं, तो कुछ इसे अशुभ मान बैठते हैं.
लेकिन शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह कोई अशुभ संकेत नहीं, बल्कि एक सकारात्मक और शक्तिशाली चेतावनी है — कि उस धागे ने अपनी रक्षा-शक्ति से कोई बड़ा अनिष्ट टाल दिया है. यह केवल धागा नहीं, एक अदृश्य रक्षा-कवच है. यह टूटे तो सतर्क हो जाइए, सजग हो जाइए, और कृतज्ञ हो जाइए.
Also Read This: Sawan 2025: सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए दही, कढ़ी, रायता? जानिए वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

Also Read This: Sawan 2025: सावन में शिवजी को चढ़ाएं सिर्फ ये फूल, वरना पूजा का नहीं मिलेगा फल
क्या है मान्यता?
धार्मिक ग्रंथों और पुरातन मान्यताओं के अनुसार, जब कोई मौली या कलेवा किसी व्यक्ति को बांधा जाता है, तो उसमें मंत्रों की शक्ति, रक्षा भावना और शुभ कामना संजोई जाती है. यह धागा नजर दोष, बुरी ऊर्जा, तांत्रिक प्रहार या नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है.
जब यह रक्षा कवच अपने कार्य को पूर्ण कर लेता है यानी किसी अनिष्ट को टाल देता है. तब वह स्वयं ही टूटकर अलग हो जाता है. यह संकेत होता है कि उसने आपकी रक्षा कर दी है.
Also Read This: सावन का पवित्र माह कल से शुरूः कांवड़ियों के लिए संत समाज ने जारी किया फरमान, ‘ध्यान रखें -कहीं आपका धर्म न हो जाए भ्रष्ट’
क्या करें जब कलेवा टूट जाए?
कलेवा टूटने के बाद उसे यूं ही कहीं भी न फेंकें. उसके साथ उचित धार्मिक व्यवहार करें. यह सम्मान देने का प्रतीक भी है.
धार्मिक रूप से मान्य दो मुख्य उपाय:
- उसे बहते हुए जल में प्रवाहित करें, जैसे नदी, सरोवर या तालाब में.
- तुलसी के पौधे के नीचे श्रद्धा से रखें, और प्रार्थना करें कि जिस शक्ति ने आपको सुरक्षित रखा, वह आगे भी आपका मार्गदर्शन करती रहे.
अगली बार जब कलेवा बांधें, तो उसे बिना मंत्रोच्चार के न बांधें. किसी पंडित या स्वयं शुभ भावना और रक्षा मंत्र के साथ इसे धारण करें. यह कलेवा फिर से आपकी ऊर्जा के चारों ओर एक मजबूत परत बनाएगा.
Also Read This: सावन में शिव कृपा पाने के लिए सोमवार को पहनें ये रंग, मिलेगा सौभाग्य और शांति
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें