बिलासपुर. साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट मामले में आज एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला देते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. इस केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बरी होने पर निजी दौरे पर बिलासपुर पहुंची उनकी बड़ी बहन उपमा सिंह ने कहा, हिंदुत्व की जीत हुई है. सत्य जीत गया और असत्य हार गया. उन्होंने कहा, प्रज्ञा शेरनी है.

मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत के जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था. अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी.

जानिए पूरा मामला

29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट में 6 लोग की मौत हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. अक्टूबर 2008 में एटीएस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया. इसके बाद मामले में पुरोहित को भी गिरफ्तार किया गया. जनवरी 2009 में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा इस मामले में पहला आरोपपत्र दायर किया गया था. इसके बाद अप्रैल 2022 में इस मामले की जांच NIA को सौंपी गई. साल 2016 में एनआईए ने पूरक आरोपत्र दाखिल किया। हालांकि, कुछ आरोप हटाए गए लेकिन प्रमुख आतंकवाद संबंधी आरोप बरकरार रहे. साल 2018 में सात आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए. इस मामले में साल 2018-2023 अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की. हालांकि 40 गवाह अपने गवाह से पलट गए. अप्रैल 2025 में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया. 31 जुलाई 2025 को इस मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया.