विक्रम मिश्र, लखनऊ. सहारा समूह के खिलाफ बकाया वेतन और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने लखनऊ स्थित सहारा सिटी परिसर को पूरी तरह से सील कर दिया. नाराज कर्मचारियों ने न सिर्फ परिसर के सातों गेटों पर ताला जड़ दिया, बल्कि उन्हें वेल्डिंग कराकर बंद भी कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने बिजली और पानी की सप्लाई भी काट दी, जिससे पूरी कॉलोनी अंधेरे में डूब गई.

कर्मचारियों का कहना है कि सहारा प्रबंधन उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है और पूरी तरह से मौन साधे हुए है. इसी के विरोध में सभी कर्मचारी एकजुट होकर धरने पर बैठ गए हैं और किसी भी व्यक्ति को सहारा सिटी के अंदर-बाहर जाने की इजाजत नहीं दे रहे. रात में भी वे जनरेटर चलाकर अपना विरोध जारी रखे हुए हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय के करीबी रिश्तेदारों को धरने की भनक लगते ही पिछवाड़े के गेट से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. वहीं, प्रबंधन ने उनकी जायज मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

इसे भी पढ़ें : आसान नहीं होगा शह-मात का खेल! कुछ नेताओं के जेल से रिहा होने पर बदल रही सूबे की सियासत, भाजपा के आगे चुनौतियों का पहाड़, जानिए सियासी समीकरण…

कर्मचारियों की दो मुख्य मांगें-

  • बकाया वेतन और रुकी हुई सैलरी का तुरंत भुगतान
  • समस्याओं का स्थायी समाधान

पुलिस से तीखी नोकझोंक

धरने की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. लेकिन कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक सहारा सिटी का एक भी गेट नहीं खुलेगा. पुलिस और कर्मचारियों के बीच तीखी बहस हुई, लेकिन कर्मचारी अपने रुख पर अड़े रहे.

सहारा की मुश्किलें गहराईं

सहारा समूह के खिलाफ यह बड़ा विरोध न केवल उसकी मौजूदा वित्तीय संकट को उजागर करता है, बल्कि हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. प्रबंधन की चुप्पी और कर्मचारियों की नाराजगी ने सहारा समूह की साख को और गहरा धक्का दिया है. यह घटनाक्रम सहारा समूह की डांवाडोल स्थिति और कर्मचारियों की हताशा को सामने लाता है, जो अब सड़क से लेकर सहारा सिटी तक जोरदार तरीके से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.