विकास कुमार/सहरसा। जिले में शुक्रवार को किसानों और मजदूरों का गुस्सा सड़क पर दिखा। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के बैनर तले हजारों लोगों ने प्रतिरोध मार्च निकाला। भीड़ वीर कुंवर सिंह चौक से नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ी और समाहरणालय पहुंचकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। मार्च में शामिल किसान–मजदूरों का कहना था कि उनका धैर्य अब टूट रहा है, क्योंकि वादे किए जाते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते।

आम जनता को भुगतना पड़ेगा

समाहरणालय पहुंचने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। किसान नेताओं ने साफ आरोप लगाया कि सरकार लगातार जन-विरोधी कानून ला रही है और सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश में लगी है, जिसका खामियाजा सीधे आम जनता को भुगतना पड़ेगा।

जमीन छीनने की साजिश

CPI नेता ओमप्रकाश ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून किसानों की जमीन छीनने की साजिश थे, जिन्हें रद्द करवाने के लिए किसानों ने महीनों तक सड़क पर संघर्ष किया। वहीं किसान सभा के महामंत्री बिनोद कुमार ने पुराने वादों की याद दिलाते हुए कहा कि पांच साल पहले जो समझौता किया गया था आज तक उसमें एक बिंदु भी पूरा नहीं हुआ।

आंदोलन और उग्र होगा

किसानों और मजदूरों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया और लंबित वादों को पूरा नहीं किया, तो आंदोलन और उग्र होगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है जब तक उनकी आवाज सुनी नहीं जाएगी, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।