दुर्ग। प्रदेश में सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां सरकार आज तक बिजली नहीं पहुंचा पाई है। जिन इलाकों में बिजली है वहां भी घंटों कटौती की जा रही है। वहीं सरकारी कार्यालयों का आलम यह है कि साहब अपनी कुर्सी पर रहें न रहें लेकिन पंखा, कूलर, एसी चालू ही मिलेंगे। भई समझा करो फाईलों को भी गर्मी लगती है, पड़े-पड़े वो भी बेचीरी गर्मी से बेहाल जो हो जाती हैं। उनका ख्याल भी रखना तो जरुरी है।
अब तो आप पीछे ही पड़ गए भई चालू है तो किसका क्या जा रहा है। कौन सा बिजली का बिल साहब के अपनी पॉकेट से जा रहा है। बिल तो सरकार भरेगी वो भी आपसे हमसे वसूले गए टैक्स से। तो चलने दीजिए पंखे, कूलर, एसी।
बहुत लंबी भूमिका हो गई अब आपको बता ही देते हैं कौन हैं वो महानुभाव जिनके कार्यालय में दिन-रात पंखे लाईट और कूलर चलते हैं।
हम बात कर रहे हैं दुर्ग की जहां कृषि उपज मंडी के अधिकारी एसबी मित्रा अक्सर अपने कार्यालय से नदारद रहते हैं।
हफ्तों चक्कर लगाने के बाद भी वो कुर्सी पर मिले तो नहीं लेकिन हर बार उनके कार्यालय के जलती हुई लाईटें, चलते हुए पंखे और कार्यालय को ठंडा करता हुआ कूलर जरुर मिला। जब हमने कार्यालय के कर्मियों से इसका कारण पूछा कि साहब हैं नहीं तो फिर ये चालू क्यों है।
जवाब मिला कि साहब कार्यालय जब भी लौटें तो वह गर्म न हो जाए इसलिए कूलर पंखे और लाइट को चालू रखने का साहब ने आदेश दिया है। ताकि सुकून से बैठ सकें।