रायपुर। केंद्रीय जीएसटी टीम ने कर चोरी के मामले में मेसर्स साईनाथ एंटरप्राइजेज के मालिक बासुदेव मित्तल को गिरफ्तार कर आज न्यायालय के समक्ष पेश किया गया. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त का 14 दिनों का रिमांड मंजूर किया. गिरफ्तारी के बाद बासुदेव मित्तल ने GST चालान के जरिए 76 लाख रुपए का टैक्स जमा किया है.

गोपनीय सूचना के आधार पर केंद्रीय जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, रायपुर के अधिकारियों ने मेसर्स साईनाथ एंटरप्राइजेज के मालिक बासुदेव मित्तल के रायपुर कबीर नगर स्थित परिसर में तलाशी की, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए. प्रारंभिक जांच में पाया गया कि मेसर्स साईनाथ एंटरप्राइजेज ने माल की वास्तविक प्राप्ति के बिना नकली और गैर-मौजूद संस्थाओं से अस्वीकार्य इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाकर जीएसटी की बड़े पैमाने पर कर अपवंचन (कर चोरी) में लिप्त है.

इसके लिए फर्म ओडिशा स्थित कुछ फर्जी फर्मों के द्वारा फर्जी बिलों की व्यवस्था कर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट ले रहा था. इस तरीके से फर्म में 31 करोड़ रुपए के मूल्य के माल पर 5.69 करोड़ रुपये के जीएसटी के फर्जीवाड़े का पता चला. इस पर फर्म के मालिक बासुदेव मित्तल को 30 मार्च को सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 69(1) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार कर 31 मार्च को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया.

जीएसटी कानून के तहत केंद्रीय जीएसटी आयुक्तालय, रायपुर की यह छठी गिरफ्तारी है. हाल के दिनों में सीजीएसटी, रायपुर ने कर चोरी करने वालों के खिलाफ और विशेष रूप से फर्जी बिलिंग के कारोबार में शामिल करदाताओं के खिलाफ सख्त प्रवर्तन कार्रवाई की है. वित्त वर्ष 2021-22 में ही कर चोरी के 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें लगभग 650 करोड़ रुपए के कर चोरी का पता चला.

एक अन्य उल्लेखनीय उपलब्धि में सीजीएसटी रायपुर आयुक्तालय ने वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 3328 करोड़ रुपए अधिक जीएसटी एकत्र किया है. वित्त वर्ष 2020-21 में संग्रहीत 9627 करोड़ रुपए जीएसटी की तुलना में, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल जीएसटी संग्रहण 12961 करोड़ रुपए रहा. इस तरह से 35% की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर 26% की वृद्धि दर्ज की गई है.

पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए संग्रहित कुल जीएसटी राजस्व 24,357 करोड़ रुपये की तुलना में, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल जीएसटी राजस्व संग्रहण 29,392 करोड़ रुपये रहा, जिसके परिणामस्वरूप कुल मिलाकर 20% की वृद्धि हुई.

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