कहते हैं की प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और होती. जबलपुर की एक ऐसी ही बेटी है, जो शारीरिक रूप से हंड्रेड परसेंट दिव्यांग होने के बावजूद भी किसी से पीछे नहीं है. भवानी यादव के दोनों हाथ न होते हुए भी न तो किसी पर निर्भर है और न ही किसी पर निर्भर रहना चाहती है. बल्कि आत्मविश्वास से लबरेज भवानी अपने मां-बाप का सहारा बनना चाहती है. पढ़िए जबलपुर से हमारे संवाददाता कुमार इंदर की खास रिपोर्ट…

मां-बाप का सहारा बनना चाहती हैं भावनी

दरअसल, नगर निगम में दिव्यांगों की विशेष भर्ती में शरीक होने आई भवानी यादव ने बताया कि बचपन से उसके दोनों हाथ नहीं है, लेकिन उसने अपने कमजोरी को अपने हथियार बनाकर हर चुनौती का सामना किया. एमटेक की पढ़ाई कर रही है. भवानी कहती हैं कि उसके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं है, लिहाजा वो नौकरी कर कर अपने मां-बाप का सहारा बनना चाहती हैं. भवानी के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन अपने पैरों से इतनी बखूबी लिखती हैं कि हर कोई देखता रह जाए.

पेशे से ड्राइवर हैं भवानी के पिता

भवानी यादव के पिता पेशे से ड्राइवर हैं, जो किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं. परिवार में भवानी के अलावा उसके पिता हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है फिर भी दोनों ने भवानी को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया. भवानी को उसके माता पिता ने इस तरह तैयार किया है कि आज वह किसी की मोहताज नहीं है.

मानसिक रूप से भी हैं मजबूत

भवानी शारीरिक रूप से भले ही कमजोर हों, लेकिन मानसिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि वह कभी भी डिप्रैस नहीं होती हैं. भवानी कहती हैं कि उसके मन में कभी निगेटिविटी आती ही नहीं. वह कहती हैं कि यदि आप पॉजिटिव होकर सोचेंगे तो कोई भी मुसीबत आपको मुसीबत नहीं लगेगी. उन्होंने कहा कि स्कूल से लेकर कॉलेज तक के सफर में उसने कभी भी अपने आप को कमतर नहीं समझा और किस्मत से उसके सारे दोस्त भी ऐसे ही मिले.

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