Akhilesh Yadav and RK Chaudhary: अखिलेश यादव के सांसद आरके चौधरी की सेंगोल (Sengol) को लेकर एक चिट्ठी ने यूपी (UP) से लेकर दिल्ली (Delhi) तक की राजनीति में कोहराम मचा दिया है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद आरके चौधरी ने संसद में लगें सेंगोल पर सवाल उठाते हुए इसे संसद से हटाने की मांग की है। इसे लेकर हंगामा मच गया है।

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लोकसभा सांसद आरके चौधरी ने संसद में लगें सेंगोल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखी चिट्ठी में सेंगोल हटाने की मांग की है। सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है और ऐसे में इसकी जगह संविधान लगाया जाना चाहिए।

आरके चौधरी ने लिखा कि इस सम्मानित सदन में आपके समक्ष सदस्य के रूप में शपथ ले ली है कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रृद्धा व निष्ठा रखूँगा, लेकिन सदन में पीठ के ठीक दाहिने स्थापित सेंगोल देखकर मैं हैरान रह गया। सपा नेता ने कहा कि हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, लेकिन सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है। ये किसी राजे-रजवाड़े का महल नहीं है।

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कौन हैं आरके चौधरी
आरके चौधरी ने इस बार लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री रहे कौशल किशोर को मोहलालगंज से 70,292 वोटों से हराया है। इससे पहले वो मोहनलालगंज से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके थे। आर के चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। वो बसपा की मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। 2019 में बसपा छोड़कर कुछ समय कांग्रेस में रहे थे। लेकिन बाद में उन्होंने सपा का दामन थाम लिया और सांसद बन गए।

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संसद भवन के उद्घाटन पर स्थापित किया गया था सेंगोल

बता दें कि पीएम मोदी ने 28 मई 2023 को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की थी। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में ‘सेंगोल’ की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘सेंगोल’ राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है।

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जानिए क्या है सेंगोल
‘राजदंड’ सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से सवाल पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से राय ली। उन्होंने सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी। इसके बाद सेंगोल को तमिलनाडु से मंगाया गया और ‘राजदंड’ सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। जिसे पीएम मोदी ने नई संसद में स्थापित किया था।

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