हरदोई. जिले के पिहानी कस्बे स्थित शाहजहांपुर-सीतापुर रेलवे ट्रैक पर पिहानी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत जहानी खेड़ा के पास ट्रेन से कटकर समधी और समधन ने खुदकुशी कर ली. दोनों तकरीबन एक माह पहले घर से बिना बताए साथ ही चले गए थे.
मौके पर पहुंची पुलिस ने पास मिले मोबाइल फोन और आधार कार्ड के जरिए परिजनों को घटना की जानकारी दी. पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिए गए.
जानकारी के मुताबिक, लखीमपुर खीरी जनपद के पसिगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत सहनुआ गांव निवासी रामनिवास (50) निजी बस चालक था. पांच माह पहले उसने अपनी इकलौती पुत्री की शादी लखीमपुर खीरी जनपद के मैगलगंज कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत मुबारकपुर निवासी आशाराम के पुत्र शिवम के साथ की थी. रामनिवास का प्रेम प्रसंग उसकी समधन आशाराम की पत्नी आशारानी (45) के साथ थे.
रेलवे ट्रैक पर मिला शव
आशाराम के मुताबिक बीती 23 सितंबर को वह चौबानपुर में राजमिस्त्री का काम करने गया था. उसी दिन संदिग्ध परिस्थितियों में आशारानी घर से चली गई थी. उसकी तलाश के दौरान पता चला कि रामनिवास भी 23 सितंबर से गायब है. इसके बाद उसने पत्नी आशारानी की गुमशुदगी मैगलगंज कोतवाली में दर्ज करा दी थी. रविवार सुबह राम निवास और आशारानी के शव शाहजहांपुर-सीतापुर रेलवे ट्रैक पर पिहानी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत जहानीखेड़ा चौकी क्षेत्र के पास पड़े मिले.
टोका-टाकी करने लगे परिजन
जानकारी पर जहानीखेड़ा चौकी प्रभारी रामानंद मिश्र पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे. तलाशी के दौरान शवों के पास से आधार कार्ड और रामनिवास के शव से मोबाइल भी बरामद हुआ. इसी के आधार पर परिजनों को सूचना दी गई। परिजन मौके पर पहुंच गए. इसके बाद पंचनामा भरकर पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. शादी के बाद से राम निवास का प्रेम संबंध अपनी समधन आशारानी पत्नी आशाराम के साथ हो गया. दोनों चोरी छुपे एक दूसरे मिलने लगे. परिजनों को भनक लगी, तो दोनों को टोका-टाेकी करने लगे. इससे दोनों काफी आहत थे. जमाने ने प्रेम को मान्यता नहीं दी, तो दोनों ने एक साथ मरने की ठान ली.
दिल्ली में रुके समधी-समधन
आशाराम के मुताबिक राम निवास के शव के पास से रोडवेज बस का टिकट भी मिला है. 17 अक्तूबर को दिल्ली के सोहराबगेट डिपो से मैगलगंज तक का यह टिकट दो लोगों का है और इसके लिए 535 रुपये चुकाए गए हैं. मतलब यह कि गांव से जाने के बाद रामनिवास और आशारानी दिल्ली चले गए थे। 17 अक्तूबर को वहां से निकलकर 18 को मैगलगंज में उत, तो लेकिन घर नहीं गए. कोई रास्ता न सूझने पर दोनों ने एक साथ खुदकुशी कर ली.