Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को 5 जजों की संविधान (Same Sex Marriage) पीठ के पास भेज दिया है. अदालत ने सोमवार को कहा कि यह मुद्दा ‘मौलिक महत्व’ का है और अब 18 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई की (Same Sex Marriage) लाइव स्ट्रीमिंग होगी.

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने (Same Sex Marriage) सिफारिश की है कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए. याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया था.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा एक ओर संवैधानिक अधिकारों और दूसरी ओर विशेष विवाह अधिनियम सहित विशेष विधायी अधिनियमों की परस्पर क्रिया है.

पीठ ने कहा, “हमारी राय है कि यह उचित होगा कि संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के संबंध में उठाए गए मुद्दों को पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा हल किया जाए. इस प्रकार, हम इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजते हैं.

वहीं, आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह ‘सामाजिक नैतिकता और भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं है.’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे हलफनामे में कहा गया है कि ‘भारतीय वैधानिक और ‘पर्सनल लॉ शासन में विवाह’ की विधायी समझ केवल एक जैविक पुरुष और एक जैविक महिला के बीच विवाह को संदर्भित करती है. इसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकृत सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन को पहले से ही नष्ट कर देगा.

केंद्र सरकार ने जताई आपत्ति

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्यार, अभिव्यक्ति और पसंद की आजादी का अधिकार पहले से ही बरकरार है. इस अधिकार में कोई दखल नहीं दे रहा है. यह भी स्पष्ट है कि इसका अर्थ विवाह के अधिकार को मान्यता देना नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस क्षण समलैंगिक विवाह को मान्यता मिल जाएगी, उससे कई तरह के सवाल उठ सकते हैं.

इससे बच्चे को गोद लेने का सवाल उठेगा और इसलिए संसद को बच्चे के मनोविज्ञान के मुद्दे पर गौर करना होगा. उसे यह जांचना होगा कि इसे इस तरह से उठाया जा सकता है या नहीं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़े द्वारा गोद लिए गए बच्चे का समलैंगिक होना जरूरी नहीं है.

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