बेगूसराय। महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जागरूक करने के लिए देशभर में कई पहलें चलाई जा रही हैं। बिहार के बेगूसराय जिले में सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों से इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुआ है।
लड़कियों को 5 रुपए में सैनिटरी पैड
सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली करीब 1800 लड़कियों को पांच रुपए में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा 24 स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग और डिस्पोजल मशीनें लगाई गई हैं। डीपीओ रवींद्र साहू और जिला कॉर्डिनेटर पायरा के अनुसार, जिले के 18 प्रखंडों में से 8 प्रखंडों के मिडिल और हाई स्कूलों में यह सुविधा शुरू कर दी गई है। बाकी क्षेत्रों में फिलहाल डिस्पोजल मशीनें लगाई गई हैं। सरकार को 2025 में 26 और विद्यालयों में वेंडिंग मशीनें लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
2 रुपए में सैनिटरी नैपकिन
नेतरहाट के पूर्व छात्रों द्वारा गठित संगठन NOBA GSR ने ‘निरोग चैप्टर’ के अंतर्गत ‘संगिनी’ नामक परियोजना की शुरुआत की है। इसका मकसद माहवारी से जुड़े संकोच को खत्म करना और स्वच्छता को प्राथमिकता देना है। अब तक 700 से अधिक स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इन्सिनरेटर लगाए जा चुके हैं। इन स्कूलों में 2 रुपए में सैनिटरी नैपकिन सुलभ हैं।
लड़कियों में बढ़ा आत्मविश्वास
गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य शिक्षा सत्रों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे लड़कियां अब माहवारी जैसे विषयों पर खुलकर बात कर रही हैं। इससे शिक्षा में उनकी निरंतरता भी बनी हुई है। अभियान का असर साफ देखा जा सकता है।लड़कियां अब स्वच्छता और आत्मसम्मान की मिसाल बन रही हैं।
डेढ़ लाख किशोरियों को मिला लाभ
संगिनी परियोजना से अब तक लगभग डेढ़ लाख किशोरियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला है। NOBA GSR के सक्रिय सदस्य विकास रंजन के मुताबिक, हर महीने 25 से 30 हजार सैनिटरी पैड्स का वितरण किया जा रहा है। यह उपलब्धि जिला प्रशासन, CSR सहयोगियों, जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवकों के सामूहिक प्रयास से संभव हुई है।
झुग्गियों और शरणार्थी बस्तियों तक पहुंच
NOBA GSR अब सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं रहना चाहता। संगठन की अगली योजना झुग्गियों और शरणार्थी बस्तियों में इन सुविधाओं को पहुंचाने की है, ताकि वहां की लड़कियों को भी स्वच्छता और सम्मान की जिंदगी मिल सके।
यह अभियान न केवल एक सामाजिक बदलाव का संकेत है, बल्कि एक स्वस्थ और सशक्त भविष्य की ओर ठोस कदम भी है।
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