दीपक कुमार, बांका। बाबटोल मोहल्ले की संजना शमी ने अपनी लगन, हौसले और शिक्षा के प्रति समर्पण से समाज के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है। सोमवार की रात उसकी शादी सॉफ्टवेयर इंजीनियर सत्य प्रकाश शमी के साथ पूरी रस्मों के साथ सम्पन्न हुई। देर रात तक चली शादी की परंपराओं के बाद जहां आमतौर पर दुल्हनें आराम करती हैं, वहीं संजना ने अपनी प्राथमिकता पढ़ाई को देते हुए अगले ही दिन होने वाली परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
मंगलवार सुबह उसकी मुंगेर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एलएलबी सेमेस्टर-4 की परीक्षा निर्धारित थी। शादी की अंतिम रस्में पूरी करते ही संजना सुबह चार बजे तैयार होकर सीधे मंडप से परीक्षा देने निकल पड़ी। सुबह 10 बजे होने वाली परीक्षा के लिए वह समय पर कॉलेज पहुंच गई। परीक्षा के दौरान उनके पति सत्य प्रकाश शमी कॉलेज परिसर के बाहर इंतजार करते रहे और संजना के इस निर्णय का पूरा समर्थन किया।
परीक्षा समाप्त होते ही दोनों पटना के निकट स्थित अपने ससुराल के लिए रवाना हो गए, जहां शाम को शादी का रिसेप्शन आयोजित था। संजना के पिता मनोज कुमार शमी, जो सार्वजनिक महाविद्यालय बांका में प्रोफेसर हैं, ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी के इस हौसले पर गर्व है। उन्होंने कहा, “शादी और परीक्षा दोनों जिम्मेदारियों को संतुलित करने का संजना का निर्णय उसकी शिक्षा के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। हर बेटी में ऐसा ही जज़्बा होना चाहिए।” संजना की मां ललिता शमी भी अपनी बेटी की प्रतिबद्धता से बेहद खुश हैं।
संजना ने कहा कि पढ़ाई उसके जीवन की प्राथमिकता है और शादी उसके सपनों को रोकने वाली नहीं, बल्कि आगे बढ़ाने वाली है। वहीं उनके पति सत्य प्रकाश शमी ने कहा, “जीवन में शिक्षा सबसे बड़ी पूंजी है और मैं हर कदम पर संजना का साथ दूंगा।”
दूसरी ओर मुंगेर विश्वविद्यालय द्वारा आर. डी. एंड डी. जे. कॉलेज में एलएलबी की सेमेस्टर परीक्षाएं जारी हैं। मंगलवार को सेमेस्टर-4 की कंपनी लॉ विषय की परीक्षा ली गई, जिसमें कुल 174 परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा पूरी तरह शांतिपूर्वक संपन्न हुई और किसी भी छात्र को कदाचार में निष्कासित नहीं किया गया। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार मंडल ने बताया कि बुधवार को दो पाली में एलएलबी सेमेस्टर-2 और 6 की परीक्षाएं आयोजित होंगी।
संजना की कहानी उन सभी परिवारों और बेटियों के लिए प्रेरणा है जो अक्सर शादी और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच पढ़ाई को पीछे छोड़ देती हैं। यह उदाहरण साबित करता है कि यदि इच्छा शक्ति मजबूत हो, तो शिक्षा को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा सकती है।
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