Shiv Sena UBT MNS Alliance: महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी गलियारों में हलचल काफी तेज हो गई है। चर्चा है कि एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे का अगला कदम क्या होगा? क्या वो अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ जाएंगे या फिर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से हाथ मिलाएंगे।

इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने राज ठाकरे को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता राउत ने गठबंधन के सवाल पर कहा, ”इसमें कोई देरी नहीं है, सब कुछ पटरी पर है। हम MNS से गठबंधन को लेकर सकारात्मक हैं। आपको कोई अंदाज़ा नहीं है कि पर्दे के पीछे क्या हो रहा है। बहुत कुछ लिखा जाता है, जो बाद में खुलकर सामने आता है।”

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निकाय चुनाव पर नजर

दरअसल, महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में निकाय चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में एमएनएस पूरे दमखम से मैदान में उतरने के प्लान में है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले दिनों उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के साथ आने के संकेत दिए थे। इसका उद्धव ठाकरे ने भी सार्वजनिक मंच से स्वागत किया।

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एकनाथ शिंदे गुट से भी बातचीत

इसके बाद हाल ही में राज ठाकरे से शिवसेना के प्रमुख और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी उदय सामंत ने मुलाकात की. इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राज ठाकरे का अगला कदम क्या होगा?

सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि राज ठाकरे की उद्धव ठाकरे के सियासी दुश्मन एकनाथ शिंदे की पार्टी से भी गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। सूत्रों ने बताया कि शिवसेना और एमएनएस मुंबई में बीएमसी के साथ-साथ ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, पुणे, नवी मुंबई, नासिक और छत्रपति संभाजीनगर जैसे प्रमुख नगर निगम चुनावों में भी गठबंधन करना चाहती है। इस बीच राज्यसभा सांसद संजय राउत के बयान ने नई अटकलों को हवा दे दी है।

अस्तिस्व बचाने आखिरी दांव

बता दें कि, राज ठाकरे की MNS और उद्धव गुट की शिव सेना दोनो ही अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। बात करें पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव की तो 288 सीटों वाले महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अपने 125 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जिनमें उनके बेटे भी शमित थे। लेकिन उनकी पार्टी एक सीट भी नहीं जीत पाई। पार्टी को इस चुनाव में सिर्फ 1.8% ही वोट मिले थे। वहीं बात करें उद्धव गुट की शिव सेना की तो एक समय महाराष्ट्र पर राज करने वाले बालासाहब ठाकरे के सुपुत्र की झोली में जनता ने मात्र 20 सीटें ही डाली। वे अपनी मूल पार्टी से पहले ही हाथ धो बैठे हैं। ऐसे में अपनी डूबती राजनीति को बचाने चचेरे भाइयों को एक दूसरे का ही सहारा है।

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