अजय शर्मा, भोपाल। नीलगाय और जंगली सूअरों के मारने के फरमान पर संतों ने शिवराज सरकार ( Shivraj Sarkar) के निर्णय पर सवाल उठाए हैं।बेजुबान प्राणियों के शिकार पर आपत्ति जताते हुए निर्णय को गलत और घोर निंदनीय बताया।
श्वेतांबर जैन संत डॉ पुष्पेंद्र ( Shwetambar Jain Saint Dr Pushpendra) ने मध्य प्रदेश सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने शिकार को लेकर बनाई थी नई नीति एक मैसेज और एक ईमेल आवेदन पर रेंजर शिकार की इजाजत दे सकेंगे। यह निर्णय लेकर शिवराज सरकार ने शिकारियों के लिए रेड कारपेट बिछाने का काम किया है। डॉक्टर पुष्पेंद्र श्वेतांबर जैन समाज के संत राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं।
बता दें कि वन विभाग लगभग 20 साल पुराने नियम में बदलाव करने जा रहा है। मप्र में नीलगाय और जंगली सूअर के शिकार की अनुमति अब आवेदन करने के 8 दिन में मिल जाएगी। लाइसेंसी हथियार रखने वालों को ही अनुमति मिलेगी। विधायकों की राय के बाद इसे मंजूरी दे दी जाएगी। विधायकों को पत्र भेज दिए गए हैं।
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वर्ष 2000 में नीलगाय को मारने और 2003 में जंगली सूअर को मारने के नियम बने थे। नए नियम में वॉट्सएप या ई-मेल पर रेंजर को भेजी गई सूचना को ही आवेदन माना जाएगा। शिकार की अनुमति का अधिकार भी जिला प्रशासन लेकर फॉरेस्ट के एसडीओ को दिया जाएगा।
इन क्षेत्रों में है जंगली सूअर और नीलगाय का प्रभाव
इंदौर, उज्जैन, पन्ना, छतरपुर, रीवा सर्किल से जुड़े क्षेत्र में नीलगाय और खंडवा, होशंगाबाद, इटारसी, मंडला, उमरिया, डिंडोरी व टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्र में जंगली सूअर।
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