कपूरथला। पाकिस्तान गए भारतीय सिख श्रद्धालुओं के दल से कपूरथला की महिला सरबजीत कौर के लापता होने के मामले में नए खुलासे हुए है। लापता बताई गई सरबजीत दरअसल लापता नहीं थीं, बल्कि उन्होंने नाम बदलकर नूर हुसैन रख लिया और पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन कर शादी कर ली। इस पूरे प्रकरण के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, हालांकि SGPC की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया हैं।

हल्का सुल्तानपुर लोधी की SGPC सदस्य बीबी गुरप्रीत कौर ने मामले पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में श्रद्धालुओं से दस्तावेज मांगे गए थे। सरबजीत कौर ने बेंटा के तहत अपना पासपोर्ट जमा करवाया था। उन्होंने गांव के नंबरदार से संपर्क किया, अपनी पहचान और निवास की पुष्टि करवाई और फाइल शिरोमणि कमेटी को भेज दीं।

फाइल न तो वापस की गई, न कोई गलती की सूचना मिली और न ही सुधार कर वापस भेंजी गई थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरबजीत कौर की ओर से करतारपुर लांघे के दर्शन के लिए कभी कोई अर्जी नहीं मिली।
जब सरबजीत कौर की गैरमौजूदगी का पता चला, तो बीबी गुरप्रीत ने नंबरदार और गुरुद्वारा साहिब के रिकार्ड कीपर के साथ मिलकर उनके घर जांच की। उनके बेटों ने बताया कि मां से उनका कोई संबंध नहीं है और वह पाकिस्तान से वापस नहीं आईं। बीबी गुरप्रीत ने कहा कि उनकी एकमात्र भूमिका यह सुनिश्चित करना था कि श्रद्धालू गांव के स्थायी निवासी हों।

आपराधिक रिकार्ड या अन्य पृष्ठभूमि की जांच पंजाब और भारत सरकारों की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि शिरोमणि कमेटी वर्तमान में श्रद्धालुओं की पृष्ठभूमि की जांच नहीं करती और अभी तक अकेली महिलाओं, तलाकशुदा या विधवाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए गए है।