रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले के सुकली पंचायत में गांव के सरपंच नोहर सिंह राजपूत का एक गजब का कारनामा सामने आया है. पहले सरपंच ने सरकारी नियमों को ताक पर रखकर ठेकेदारी प्रथा से काम कराया, फिर फर्जी बिल लगाकर दूसरे व्यक्ति के नाम से राशि का आहरण करा दिया. अब अपना पैसा लगाकर काम करने वाला ठेकेदार पैसों के भुगतान के लिए दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं.

सरपंच नोहर सिंह ने गांव के ही विनोद राजपूत को करीब साढ़े 5 लाख रुपये की लागत से बनने वाले गांव के 2 तालाब में चार पचरी निर्माण कार्य कराने के लिए बाकायदा शपथ पत्र में अनुबंध किया था, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सरपंच ने मिलीभगत कर फर्जी बिल लगाकर किसी तीसरे व्यक्ति को निर्माण कार्य का करीब ढाई लाख रुपए का आहरण करवा दिया.

आलम यह है कि अब खुद की राशि लगाकर निर्माण कार्य कराने वाला विनोद भुगतान के लिए दफ्तरों का चक्कर काटने को मजबूर है, परेशान होकर उसने एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक भुगतान पाने एवं फर्जी बिल लगाकर राशि आहरित करने वाले सरपंच के खिलाफ शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है. लेकिन अभी तक ना तो इस मामले में नियम विरुद्ध तरीके से कार्य करने वाले सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है, और ना ही निर्माण कार्य का उन्हें भुगतान प्राप्त हुआ है.

बता दे कि सुकली पंचायत के सरपंच का कारनामा का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी गांव के पंच, उपसरपंच, सचिव से लेकर ग्रामीणों ने सरपंच की मनमानी व अनियमितता की शिकायत कलेक्टर से की थी. लेकिन सरपंच के खिलाफ कार्रवाई तो नहीं हुई उल्टे सचिव को ही लोरमी सीईओ ने जनपद ऑफिस अटैच कर दिया गया. हालांकि, उन्हें हाईकोर्ट से राहत जरूर मिल गई है.

इधर कलेक्टर पीएस एल्मा ने सरपंच द्वारा कराए गए कार्य को पंचायती राज अधिनियम के विपरीत बताते हुये सीईओ जिला पंचायत के माध्यम से जांच कराकर उचित कार्रवाई की बात कही है.

पंचायत को नहीं है अधिकार

अधिकारियों का पंचायत में ठेकेदारी प्रथा से काम कराए जाने पर कहना है कि पंचायत को ऐसा अधिकार ही नहीं है कि निर्माण कार्य किसी दूसरे व्यक्ति को ठेके में देकर कराए. पंचायत एक समिति है, निर्माण एजेंसी है, जहां सारे निर्माण कार्य पंचायत के द्वारा कराए जाते हैं, लेकिन यहां ठेकेदारी प्रथा से धड़ल्ले से काम कराया जा रहा है.