श्याम अग्रवाल, खरोरा। समीपस्थ गांव अड़सेना में 26 मार्च से 3 अप्रैल तक सरपंच तेजराम पाल के घर पर भागवत का आयोजन किया गया और एक कोरोना पॉजिटिव मरीज लगातार कथा सुनने आता रहा। इस दौरान गांव में धारा 144 भी प्रभावशील थी। यहां तक कि गांव वालों और सरपंच को भी इसकी जानकारी थी पर वे उसे रोक नहीं सकते थे क्योंकि सरपंच और कोरोना मरीज को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। 5 अप्रैल को इस कोरोना मरीज की मौत भी हो गई पर इस बीच वह कई लोगों में संक्रमण फैला गया क्योंकि भागवत कथा में रोज सैकड़ों की तादात में लोग मौजूद रहते थे।

कोरोना पेशेंट ने खरोरा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में कोरोना टेस्ट कराया था, जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। 5 अप्रैल को उसकी तबीयत खराब होने से उसकी मौत हो गई। इसके बाद खरोरा पुलिस को जानकारी मिलने पर उसने अपने सामने उसका क्रियाकर्म गांव के ही श्मशान घाट पर कराया। गांव वालों का कहना है कि गांव के सभी लोगों का, जो उस व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, उनका मुनादी कराकर कोरोना टेस्ट कराया जाए और मामले में दोषी लोगों तथा राजनीतिक संरक्षण देने वाले पर भी कानूनी कार्रवाई की जाए।

गांव के लोगों ने बताया कि संबंधित कोरोना मरीज भागवत में रोजाना जाता था। गांव वालों का कहना है कि गांव के मुखिया सरपंच तेजराम पाल ने कलेक्टर के आदेश के अवहेलना की व अपने पद का दुरुपयोग भी किया। किसी आम व्यक्ति को ऐसा करने की बड़ी सजा मिलती तो क्या सरपंच होने या उसे राजनीतिक संरक्षण होने मात्र से उसे नियमों का माखौल उड़ाने और जनता के स्वास्थ से खिलवाड़ करने का अधिकार कैसे मिल गया?

धारा 144 के उल्लंघन की कार्रवाई करेंगे : तहसीलदार

मामले में नायब तहसीलदार नंदकिशोर सिन्हा ने कहा कि जांच जारी है, भागवत करवाने वाले व इसमें शामिल सभी लोगों पर धारा 188 के उल्लंघन की कार्रवाई की जाएगी। थाना प्रभारी नितेश सिंह ठाकुर ने कहा कि धारा 188 के तहत कार्रवाई का आदेश तहसीलदार से आएगा उसके बाद कार्रवाई की जाएगी, अभी जांच जारी है।

रोज कथा सुनने आता था कोरोना मरीज

मामले में सरपंच तेजराम पाल का कहना है कि भागवत उनके परिवार के सदस्यों द्वारा कराई गई थी, वह भागवत में सिर्फ पूजा करने जाता था। उन्होंने कहा कि भागवत में 5-6 लोग से ज्यादा लोग नहीं रहते थे, जबकि गांव की महिला कोटवार रागिनी चौहान ने बताया कि भागवत होने से पहले उन्होंने सरपंच तेजराम पाल से बात की थी तो कहा था कि उन्होंने तहसीलदार से बात कर ली है। उन्होंने बताया कि भागवत में बहुत ज्यादा भीड़ थी जिसके बाद भी उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। उन्होंने बताया कि गांव के कई लोगों ने उन्हें बताया कि कोविड 19 से मरने वाला व्यक्ति रोज भागवत कथा सुनने जाता था। लगभग गांव के हर दूसरे व्यक्ति ने कथा इस दौरान सुनी है और इस कोरोना मरीज को भी वहां बैठे देखा है।