अभिषेक सेमर, तखतपुर। जिला प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी जमीन में अवैध प्लाटिंग का अनोखा मामला सामने आया है. इस कारोबार में ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव और पटवारी ने सांठगांठ कर सरकारी जमीन को ही अपनी कमाई का जरिया बना लिया है.

मामला जिले के तखतपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत परसदा का है. गांव के भूमिहीन 65 परिवारों को लगभग ढाई एकड़ जमीन में भूमि आबंटन का पट्टा देना था, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव व पटवारी ने ऐसे खेल रचा की नियम कानून के खौफ को ही दरकिनार कर दिया और सरकारी जमीन को अपनी गाढ़ी कमाई का जरिया बना लिया.

इस संबंध में ग्राम पंचायत सरपंच संतराम लहरे का कहना है कि पूर्व सरपंची कार्यकाल के दौरान ग्राम पंचायत में बैठक कर बाकायदा प्रस्ताव पारित किया गया है, गांव में जनसंख्या के आधार पर सरकारी भूमि को आबादी जमीन घोषित कर भूमिहीन 65 परिवारों को दिया जाए, जिसकी अनुमति के लिए तहसील, एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय में आवेदन पेश किया गया. इस प्रकरण पर कलेक्टर ने 26 अक्टूबर 2019 को आदेश जारी किया, जिस पर सरपंच ने ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पट्टा जारी किया. संतराम मामले में कुछ भी गलत नहीं मानते हुए विरोध को राजनैतिक करार देते हैं.

वहीं इस मामले के शिकायतकर्ता उप सरपंच जागेश्वर यादव का कहना है कि प्रशासन को गुमराह करके घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है. इस मामले में सरपंच संतकुमार लहरे व सहयोगियों की भूमिका संदिग्ध है. अगर प्रशासन कार्रवाई के लिए कदम आगे बढ़ाएगा तो माजरा खुद-ब-खुद उजागर हो जाएगा. इतना ही नहीं गांव के वरिष्ट नागरिक शिवकुमार वस्त्रकार ने बताया कि सरपंच संतकुमार लहरे व उसकी पत्नी पूर्व सरपंच सुक्रिता लहरे ने अपने पद का दुरुपयोग कर बिना मुनादी और गाव वालों को भरोसे में लिए अवैध प्लाटिंग की घटना को अंजाम दे रहें हैं. इसमें सरपंच और सचिव रामलाल सिंगरौल प्रत्येक परिवार को जमीन का पट्टा देने के नाम पर 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की डिमांड कर चुके हैं.

इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच कोटा एसडीएम आनंदरूप तिवारी का कहना है कि मुझे सरकारी जमीन में अवैध प्लाटिंग होने की सूचना मिली थी, जिस पर में अपनी टीम के साथ निरिक्षण करने के लिए मौके पर परसदा गया था. सरकारी जमीन में अवैध प्लाटिंग देखने को मिला है. मौके पर ही अधीनस्थ अधिकारियों और ग्राम पंचायत सरपंच और सचिव से जवाब तलब किया, लेकिन जवाब संतोषप्रद नहीं मिला. सभी को विभागीय नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है. अगर संतोषप्रद उत्तर नहीं मिलेगा तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.