आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. छत्तीसगढ़ की 29 विधानसभा सीटों में सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि चुनावी मैदान में उतरेंगे. इसकी घोषणा के साथ ही सियासी दलों में हलचल शुरू हो गई है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के आदिवासी नेता विभिन्न विधानसभा सीटों पर अपने-अपने समीकरण देखने लगे हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अरविंद नेताम के इस मुहिम की अगुवाई पर कांग्रेस हमलावर हो गई है.
छत्तीसगढ़ के चुनावी संग्राम में सर्व आदिवासी समाज अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरेगा या फिर निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन करेगा इसे लेकर कशमकश जारी है. लेकिन कांग्रेस अपने सीनियर नेता पर आक्रामक हो गई है. प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अरविंद नेताम को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए आरोप लगाया है कि, कांग्रेस पार्टी ने उनके परिवार को बहुत कुछ दिया, जब वे सक्षम थे तब उन्होंने बस्तर और आदिवासियों के हित के लिए कुछ नहीं किया और अब इस उम्र में वह आदिवासी समाज की दुहाई दे रहे हैं.
सर्व आदिवासी समाज के नाम पर चुनाव लड़ने और अलग पार्टी बनाने पर कवासी लखमा ने कहा कि, उनका भी हाल अजीत जोगी, विद्याचरण शुक्ल और ताराचंद साहू की तरह होगा. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अरविंद नेताम पर निशाना साधा था.
माना यह जा रहा है कि, अरविंद नेताम की सक्रियता ना केवल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि कई सीटों पर चुनावी गणित भी बदलने का काम करेगी. यही वजह है कि कांग्रेस लगातार उन पर हमलावर है. इधर भारतीय जनता पार्टी में भी रह चुके अरविंद नेताम की पार्टी में वापसी को लेकर भाजपा नेताओं ने इंकार किया है. उन्होंने कहा कि, इस तरह का कोई संपर्क उनसे नहीं किया गया है और ना ही उन्हें चुनाव लड़ने पर कोई बात की गई है. अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो अच्छा ही है. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है और सर्व आदिवासी समाज को कांग्रेसियों से मिल रही है नसीहत को अपमान बताया है.