रायपुर। छत्तीसगढ़ की लोक गाथा भरथरी की गायिका सुरुज बाई खाण्डे को मरणोपरांत पद्मश्री देने की मांग समाज के साथ-साथ कला प्रेमियों की ओर से की जा रही है. इस संबंध में राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के नाम से आठ जिलों में कलेक्टर के नाम से समाज की ओर से ज्ञापन सौंपा गया है.

छत्तीसगढ़ में भरथरी गायन की पुरानी परंपरा को सुरुजबाई खांडे ने रोचक लोक शैली में प्रस्तुत कर विशेष पहचान बनाई. आंचलिक परम्परा में आध्यात्मिक लोकनायक के रूप में प्रतिष्ठित राजा भर्तहरि के जीवन वृत्त, नीति और उपदेशों को लोक शैली में भरथरी के जरिए प्रस्तुत किया जाता है. इस लुप्त होती कला को देश-प्रदेश में स्थान दिलाने सुरुज बाई खांडे की अहम भूमिका है. प्रगतिशील सतनामी समाज के साथ अन्य संगठनों और समाज के गणमान्य लोगों की ओर से उन्हें पद्मश्री प्रदान करने की मांग की गई है. समाज का मानना है कि इससे भरथरी गाने वाले कलाकार प्रोत्साहित होंगे.

7 वर्ष की आयु से अपने नाना रामसाय के साथ भरथरी गायन की परंपरा सीखने वाली सुरूज बाई भरथरी के साथ ही साथ ढ़ोला मारू, चंदैनी, आल्हा उदल, पंथी गायन भी गाने वाली छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला कलाकार है. सुरुज बाई भरथरी की प्रस्तुति वेदमती शैली (बैठकर गायन) और कापालिक शैली (खड़े होकर गायन) दोनों में करती थीं. 1987-88 में भरथरी को रूस पहुंचाने वाली पहली कलाकार रहीं सुरूज बाई हबीब तनवीर और बंशी कौल जैसे नाटककारों के साथ भी काम की किया. उनकी कला के प्रति लगन को देखते हुए एसईसीएल में कला संयोजक के तौर पर नियुक्ति दी गई थी.