रायपुर. हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, यह एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं. इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है. यह सारे भारत में पैदा होता है. इसके फूल बहुत सुगंधित और सुन्दर होते हैं, जो रात को खिलते हैं और सुबह मुरझा जाते हैं.

हरिवंश पुराण में ऐसे ही एक वृक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी. पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलो को देव मुनि नारद ने श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था. इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए. पारिजात वृक्ष के बारे में श्रीमदभगवत गीता में भी उल्लेख किया गया है.

चोदितो भर्गयोत्पाटय पारिजातं गरूत्मति।
आरोप्य सेन्द्रान विबुधान निर्जत्योपानयत पुरम॥

सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने पारिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा, तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया. जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात प्राप्त कर लिया. श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया. भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे. लेकिन श्री कृष्ण के हमले व पारिजात छीन लेने से रूष्ट हुए इन्द्र ने श्री कृष्ण व पारिजात दोनों को शाप दे दिया था.

एक मान्यता यह भी है कि पारिजात नाम की एक राजकुमारी हुआ करती थी, जिसे भगवान सूर्य से प्यार हो गया था, लेकिन अथक प्रयास करने पर भी भगवान सूर्य ने पारिजात के प्यार कों स्वीकार नहीं किया, जिससे खिन्न होकर राजकुमारी पारिजात ने आत्म हत्या कर ली थी. जिस स्थान पर पारिजात की कब्र बनी वहीं से पारिजात नामक वृक्ष ने जन्म लिया. इसी कारण पारिजात वृक्ष को रात में देखने से ऐसा लगता है जैसे वह रो रहा हो, लेकिन सूर्य उदय के साथ ही पारिजात की टहनियां और पत्ते सूर्य को देखते ही लालिमा युक्त हो जाते हैं.

ज्योतिष में भी पारिजात का विशेष महत्व बताया गया है. धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने में पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है. यदि ओम नमो मणिरूद्राय आयुध धराय मम लक्ष्मीवसंच्छितं पूरय पूरय ऐं हीं क्ली हयौं मणि भद्राय नम:, मन्त्र का जाप 108 बार करते हुए नारियल पर पारिजात पुष्प अर्पित किये जाए और पूजा के इस नारियल व फूलो को लाल कपडे में लपेटकर घर के पूजा स्थल में स्थापित किया जाए, तो लक्ष्मी सहज ही प्रसन्न होकर साधक के घर में वास करती है. यह पूजा साल के पांच मुहर्त होली, दीवाली, ग्रहण, रवि पुष्प और गुरू पुष्प नक्षत्र में की जाए तो उत्तम है. पारिजात में औषधीय गुणों का भी भण्डार है. पारिजात बवासीर रोग निदान के लिए रामबाण औषधी है. पारिजात के एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है. पारिजात के फूल हदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं. वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलो के रस का सेवन किया जाए, तो हदय रोग से बचा जा सकता है. इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सुखी खासी ठीक हो जाती है. इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी रोग ठीक हो जाते है. पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. पारिजात की कोपल को अगर 5 काली मिर्च के साथ महिलाएं सेवन करे तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है. वहीं पारिजात के बीज जंहा हेयर टानिक का काम करते है तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है. इस दृष्टि से पारिजात अपने आप में एक संपूर्ण औषधी भी है. इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है.