रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ जमानत दे दी है. कोर्ट ने सौम्या चौरसिया की याचिका पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज इस पर फैसला आया है. इसे भी पढ़ें : नक्सल पीड़ितों का दर्द – चार दशकों में बस्तर में नहीं पहुंची मूलभूत सुविधाएं, रात में सोते हैं तो सुबह जिंदा उठने का नहीं रहता भरोसा, नक्सली हिंसा में कई लोग खो चुके हाथ-पैर, कई बच्चे हुए अनाथ, पढ़िए पूरी स्टोरी…
दिसंबर 2022 ईडी ने PMLA की धारा में कोयला लेवी मामले में सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वे सेंट्रल जेल रायपुर में कैद हैं. राज्य में भाजपा की बनने के बाद उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू ने भी भ्रष्टाचार का अपराध दर्ज किया है. इस लिहाज से सौम्या चौरसिया अभी भी जेल में ही रहेंगी.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ में सुनवाई हुई. इस दौरान चौरसिया की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने आग्रह किया कि उनकी मुवक्किल ने लगभग एक साल और 9 महीने हिरासत में बिताए हैं, इस दौरान एक बार भी रिहा नहीं किया गया है, और न ही मुकदमा शुरू हुआ है. वहीं मामले में 3 सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है.
मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी के ओर से तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि चौरसिया, जो एक सिविल सेवक (और इस प्रकार जनता के ट्रस्टी) थीं. इस लिहाज से अंतरिम जमानत दिए गए 3 व्यक्तियों के मुकाबले एक अलग पायदान पर खड़ी हैं. मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है. इसके साथ ही एएसजी ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया.
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