दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं सहित विभिन्न विभागों में खराब हालात के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जब भी दिल्ली में कोई बड़ा संकट आता है, उसके पीछे भाजपा द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल का हाथ होता है.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में आने वाले हर संकट के पीछे भाजपा के उपराज्यपाल की भूमिका होती है. इसे समझाने के लिए उन्होंने दो उदाहरण दिए. हाल ही में दिल्ली के आश्रय गृह “आशा किरण” में 14 लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद भाजपा और अन्य दलों ने आप सरकार पर विभिन्न आरोप लगाए. जांच के बाद यह पता चला कि आशा किरण, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है, में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की भारी कमी है.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आशा किरण में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति और तबादले की जिम्मेदारी उपराज्यपाल की है, क्योंकि यह मामला सेवाओं से संबंधित है और यह विभाग उपराज्यपाल के अधीन आता है. जब इस मुद्दे पर सवाल उठाए गए, तो उपराज्यपाल कार्यालय से यह जवाब आया कि NCCSA की बैठक न होने के कारण पद खाली पड़े हैं. इससे स्पष्ट होता है कि उपराज्यपाल के अधीन सेवा विभाग ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई, लेकिन फिर भी उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से भ्रामक जानकारी दी गई.

अमेरिका में कट्टपंथियों को नहीं भा रही हनुमान जी की विशाल मूर्ति, मंदिर में घुसे 25 लोग… किया परेशान

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है. नए अस्पताल बनाए जा रहे हैं, लेकिन वहां डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है. किसी भी अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (MS) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन एक-एक MS को 2-3 अस्पतालों की जिम्मेदारी दी जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट से सिसोदिया के बाद कविता को मिली जमानत; शराब घोटाले में ED-CBI को झटके पर झटका

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट के लिए उपराज्यपाल का यह तर्क बेहद कमजोर है कि NCCSA की बैठक न होने के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. दिल्ली के कई अस्पतालों में डॉक्टरों के 30% पद खाली हैं और इसी तरह पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है.