रायपुर। आज सावित्रीबाई फुले ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हैं. हम आज इनके बारे में आपको बताते हैं कि ये कौन हैं और इनका देश में लड़कियों की शिक्षा में क्या योगदान है. दरअसल सावित्रीबाई फुले देश में पहला कन्या स्कूल खोलने वाली महिला थीं. ये एक समाजसुधारक थीं. आज इनका जन्मदिन है. इनका जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था.

कैसे खुला देश का पहला गर्ल्स स्कूल

सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की प्रिंसिपल थीं. वे पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर औरतों के अधिकारों और शिक्षा के लिए काम करती थीं. देश का पहला गर्ल्स स्कूल खोलने में सावित्रीबाई फुले की मदद की थी फातिमा शेख ने. वे सावित्रीबाई फुले की सहयोगी थीं. जब ज्योतिबा और सावित्री फुले ने लड़कियों के लिए स्कूल खोलने का इरादा किया, तब फातिमा ने उनका साथ दिया. उस वक्त ये बड़ी बात थी, लिहाजा स्कूल खोलने के काम को लोगों का भारी विरोध सहना पड़ा. यहां तक कि स्कूल के लिए टीचर्स नहीं मिल रहे थे. ऐसे में फातिमा ने गर्ल स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली.

सावित्रीबाई फुले शिक्षिका, समाज सुधारक और मराठी कवियित्री थीं. उन्होंने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के उत्थान के लिए कई काम किए. 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक स्कूल की स्थापना की थी.

सावित्रीबाई फुले की शादी 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था. दलित जातियों को शिक्षित करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. इन्हें मराठी की आदिकवियित्री के रूप में जाना जाता है.

सावित्रीबाई का निधन 10 मार्च 1897 को प्लेग से हो गया था. दरअसल वे प्लेग से पीड़ित एक बच्चे की तीमारदारी कर रही थीं, इस दौरान वे खुद भी प्लेग की चपेट में आ गईं और उनकी मौत हो गई.