Sawan 2025: सावन का महीना सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि एक संवेदना है, हरियाली, भक्ति, उमंग और लोक-परंपराओं का संगम. इस मौसम को त्योहारों का महीना कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसमें कई पर्व और धार्मिक अवसर आते हैं. इन सभी में महिलाएं विभिन्न परंपराओं को निभाती हैं. इन्हीं परंपराओं में से एक है, सावन में झूला झूलने की परंपरा.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सावन में झूला क्यों झूला जाता है? अगर नहीं, तो आइए आज जानते हैं इस सुंदर परंपरा के पीछे छिपे सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राकृतिक कारण.
Also Read This: सावन में बिना लहसुन-प्याज के बनाएं टेस्टी ग्रेवी, जानें आसान रेसिपी और जरूरी टिप्स

Sawan 2025
1. प्रकृति से जुड़ाव और आनंद (Sawan 2025)
सावन का महीना मानसून का समय होता है. चारों ओर हरियाली, ठंडी हवाएं और खिली हुई प्रकृति मन को उत्साहित करती है. इस मौसम में खेत-खलिहान हरे-भरे हो जाते हैं और पेड़ों की डालियाँ झूले के लिए उपयुक्त हो जाती हैं. ऐसे में महिलाएं पेड़ों की शाखाओं पर झूले डालकर झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं — यह पूरा माहौल एक प्राकृतिक उत्सव बन जाता है.
Also Read This: आपका पेट भी गाल चाटकर जताता है प्यार? तो हो जाइए सावधान, हो सकते हैं गंभीर हेल्थ रिस्क
2. महिलाओं के सामाजिक मेलजोल का अवसर (Sawan 2025)
पारंपरिक समाज में महिलाएं अधिकतर घरेलू जिम्मेदारियों में व्यस्त रहती थीं. सावन का समय उन्हें सजने-संवरने, सहेलियों से मिलने और समूह में आनंद मनाने का अवसर प्रदान करता था. झूला झूलना उनके लिए न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम था, बल्कि एक आत्मिक सुख भी देता था.
Also Read This: बरसात में फ्रिज से आ रही है बदबू? इन आसान देसी उपायों से पाएं छुटकारा
3. धार्मिक मान्यताएं और लोककथाएं (Sawan 2025)
हिंदू शास्त्रों में सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा हुआ माना जाता है. मान्यता है कि इस महीने देवी पार्वती अपने मायके आती हैं और उनकी सखियाँ उन्हें झूला झुलाती हैं. यह परंपरा आज भी महिलाओं द्वारा निभाई जाती है.
झूला झूलते समय जो लोकगीत गाए जाते हैं, उनमें अक्सर शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण और प्रेम भाव की झलक मिलती है, जो इस परंपरा को और भी पावन बना देती है.
Also Read This: बरसात में भूलकर भी न खाएं ये 5 सब्जियां, बढ़ा सकती हैं शारीरिक समस्या
4. शारीरिक और मानसिक सुकून (Sawan 2025)
झूला झूलने से शारीरिक थकान दूर होती है और मन हल्का महसूस करता है. यह एक तरह की प्राकृतिक थेरेपी जैसा असर करता है. बरसात के मौसम में जब लोग घरों में बंद रहते हैं, तब खुले वातावरण में समय बिताना मनोबल और उत्साह को बढ़ाता है.
Also Read This: जब भूख लगे झटपट, तो बनाएं क्रीमी कॉर्न चीज; स्वाद ऐसा कि दिल बोले और लाओ!
5. लोकगीतों और झूले का अटूट संबंध (Sawan 2025)
सावन में झूलों के साथ जो गीत गाए जाते हैं, वे सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि लोक संस्कृति की अमूल्य धरोहर होते हैं. ये गीत पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं और हर वर्ष सावन में महिलाओं के जीवन में एक नई ऊर्जा भरते हैं.
सावन में झूला झूलना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और स्त्री-जीवन की सुंदर त्रिवेणी है. यह महिलाओं के लिए एक ऐसा उत्सव है, जिसमें स्वतंत्रता, सौंदर्य, भक्ति और सामाजिक मेलजोल — सब कुछ शामिल होता है.
Also Read This: बरसात में तांबे के बर्तन हो गए काले और दागदार? जानें साफ करने के लिए आसान घरेलू नुस्खे
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें