सावन मास शिवभक्ति और पुण्य कर्मों का पर्व है. इस पवित्र माह में किया गया हर छोटा-सा दान भी अनंत गुना फल प्रदान करता है. लेकिन अक्सर लोग यह प्रश्न करते हैं — अन्नदान करें या गौदान? कौन-सा दान अधिक पुण्यदायी होता है?

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सावन में क्यों करें अन्नदान या गौदान? जानिए कौन-सा श्रेष्ठ है

सावन में क्यों करें अन्नदान या गौदान? जानिए कौन-सा श्रेष्ठ

अन्नदान – भूख मिटाकर ब्रह्म की सेवा

शास्त्रों में कहा गया है — “अन्नं ब्रह्म”, अर्थात अन्न स्वयं ईश्वर स्वरूप है. सावन में अन्नदान करना न केवल भूखों को जीवन देता है, बल्कि दाता को जन्म-जन्मांतर की तृप्ति प्रदान करता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, अन्नदान करने वाले को मृत्यु के पश्चात यमलोक की यातनाएं नहीं झेलनी पड़तीं.

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गौदान – मोक्ष का सेतु

सावन में गौमाता की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है. इस मास में यदि किसी ज़रूरतमंद ब्राह्मण या गौशाला को गाय दान की जाए, तो यह मोक्ष का कारण बनता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के समय गौदान करने से वैतरणी नदी पार करने में सहायता मिलती है.

तो कौन-सा दान श्रेष्ठ है?

यदि आपकी प्राथमिकता है तात्कालिक सेवा और भूखे का पेट भरना, तो अन्नदान श्रेष्ठ है.
वहीं यदि आप धर्म, संस्कार, मोक्ष और वैकुंठ की प्राप्ति के उद्देश्य से देख रहे हैं, तो गौदान को अति श्रेष्ठ माना गया है.

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